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भाजपा कार्यालय से कुछ कदम दूरी पर ‘धूल में दबी विचारधारा’ पंडित दीनदयाल की प्रतिमा बदहाली में – नेता रोज गुजरते हैं, पर नजरें नहीं उठती….!

अमित बागलीकर
देवास।
शहर की सबसे वीआईपी सडक़ पर, भाजपा जिला कार्यालय से बस कुछ कदम दूरी पर लगी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा इन दिनों बुरी तरह उपेक्षा का शिकार बनी हुई है। भाजपा के ‘वैचारिक पिता पुरुष’ कही जाने वाली इस प्रतिमा का हाल ऐसा है कि देखकर साफ समझ आता है कि पार्टी के नेता रोज इसी मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन प्रतिमा की ओर देखने की फुर्सत किसी के पास नहीं है।
प्रतिमा पर चढ़ाया गया हार पूरी तरह सूखकर खराब हो चुका हो है, मानो महीनों से उसे बदला ही न गया हो। प्रतिमा पर धूल की मोटी परत जमी है और आसपास गंदगी फैली पड़ी है। यह वही प्रतिमा है जिसके सामने खड़े होकर भाजपा के कई कार्यक्रमों की शुरुआत होती है, लेकिन आज इसकी हालत देखकर पार्टी की संवेदनशीलता पर सवाल उठना लाजिमी है। भाजपा कार्यालय में रोजाना मीटिंग, चर्चा, नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, महापौर, सभापति—सभी इसी मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन पंडित दीनदयाल की प्रतिमा उनके लिए जैसे अदृश्य हो गई है। मंचों पर उनके विचारों पर लंबी-लंबी बातें होती हैं, लेकिन प्रतिमा की सफाई तक के लिए किसी की निगाह नहीं जाती। सिर्फ भाजपा नहीं, पूरे शहर में कई महापुरुषों की प्रतिमाएं बदहाल स्थिति में हैं। जन्मतिथि और पुण्यतिथि पर नेताओं को याद जरूर आती है, फूल भी चढ़ा दिए जाते हैं, लेकिन बाकी पूरे साल प्रतिमाएं धूल और उपेक्षा में पड़ी रहती हैं। पंडित दीनदयाल की यह प्रतिमा भी उसी उपेक्षा का ताजा उदाहरण है।
अब सवाल यह है कि जब भाजपा कार्यालय से कुछ कदम दूर लगी प्रतिमा का इतना बुरा हाल है, तो बाकी शहर की प्रतिमाओं का क्या हाल होगा? दीनदयाल जी की प्रतिमा का यह अपमान पार्टी की विचारधारा और जिम्मेदार नेताओं दोनों पर सवाल खड़ा करता है। देवास के नागरिक उम्मीद कर रहे हैं कि कम से कम अब भाजपा के नेता और पदाधिकारी इस ओर ध्यान देकर प्रतिमा की साफ-सफाई और रखरखाव की व्यवस्था तुरंत करवाएं।

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