संस्कारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है- संपत उपाध्यायकानून का पालन ही राष्ट्रीयता है
देवास। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय का साक्षात्कार लिया गया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मूल निवासी संपत उपाध्याय ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी करने के बाद आगे की स्कूली शिक्षा गाजियाबाद से पूरी की। बचपन में की गई शरारतों के प्रश्न पर आपने कहा कि मेरा परिवार बड़ा और मैं सबसे छोटा था। सबकी नजर मुझ पर ही रहती थी। इसलिए ज्यादा शरारत करने का मौका ही नहीं मिला। इसलिए कभी डॉंट खाने का अवसर ही नहीं आया। उच्च शिक्षा के लिए विषय चयन के बारे में बताया कि मैं अपने विद्यालय में 10 वीं कक्षा का टॉपर था। लेकिन जब मेरे शिक्षकों को मालूम पड़ा कि मैं ह्यूमनिटिज विषय लेकर आगे की पढ़ाई कर रहा हूं तो उन्होंने मेरे पिता के समक्ष विरोध व्यक्त किया। वे चाहते थे कि मैं विज्ञान विषय की पढ़ाई करूं और डॉक्टर बनूं। अधिकारी बनने का सपना कब देखा प्रश्न के उत्तर में कहा कि पहले गांव में शिक्षा और करियर का इतना महत्व नही था। विद्यार्थी के बारे में माता पिता और परिवार ही अधिकतर निर्णय लेते थे। मैने कभी इस तरह का कोई सपना बचपन में नहीं देखा था। पढ़ाई करने का तरीका कैसा था के जवाब में पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मैने कभी भी लिख कर या रट कर उत्तरों को याद नहीं किया मैं तो पाठ्यपुस्तकों को ही ध्यान पूर्वक तीन चार बार पढ़ लेता था। जब पूछा गया कि क्या आप बपचन से ही पढ़ाकू प्रवृत्ति के थे तो आपने कहा कि नहीं, मैने पढाई में कभी दिन रात एक नहीं किया। लेकिन हां मैने नियमित पढ़ाई की। यूपीएससी परीक्षा के दौरान कभी हिम्मत हारे पूछने पर कहा कि नहीं मैने इस परीक्षा का टेंशन कभी नहीं लिया। मैने नौकरी करतेे हुए यूपीएससी क्लीयर की। संस्कारों का महत्व बतातेे हुए कहा कि संस्कारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। आदतन अपराधी को सुधारने के लिए उसे स्वयं भी प्रयास करना होंगे। एक प्रश्न के उत्तर में आपने कहा कि अन्य विभागों में कार्य का समय होता है पर पुलिस की ड्यूटी 24 घंटे की होती है, क्योंकि अपराध और दुर्घटनाएं समय देखकर नहीं होेती है। ऐसे में कई बार हम परिवार को समय नहीं देे पातेे हैं। धरना, प्रदर्शन और आंदोलन का पुलिस से संबंध न हो पर फिर भी पुलिस को वहां पर सबसे पहले पहुंचना होता है। जब पूरा देश त्यौहार मनाता है तो पुलिस ड्यूटी पर होती है। अपराध रोकने के लिए भय बिनु होहि न प्रीति का समर्थन किया। जहां लिखा हो कि यहां गंदगी न करें, लोग वहीं गंदगी करते हैं के उत्तर में आपने कहा कि यह हमारी नकारात्मक मनोवृत्ति को दर्शाता है। राष्ट्रवाद का अर्थ बताते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि कानून का पालन ही राष्ट्रीयता है। प्रश्नकर्ता टीम में पायल जैन चिमनाबाई स्कूल, त्रिषा मंडोले सतपुड़ा एकेडमी, तनिष्का डोडिया और गायत्री नागर सरस्वती विद्यालय लक्ष्मण नगर, छवि महाजन सेनथाम, ईशा प्रजापत राधाबाई स्कूल, रोशिता कुमावत हिमालय स्कूल, रानू शर्मा सांईनाथ स्कूल, अनिका खान इनोवेटिव स्कूल सम्मिलित थे। वीडियो ग्राफर अनुभव मिश्रा थे। सहयेाग रविन्द्र वर्मा और इमदाद शेख का था। स्वागत प्राचार्य रूचि व्यास ने किया । संचालन शबाना शाह, उद्देश्य प्रस्तुुतिकरण स्नेहा ठाकुर ने किया। आभार नीलम पटेरिया ने माना। इस अवसर पर महारानी चिमनाबाई स्कूल स्टाफ एवं छात्राएं उपस्थित थीं।