देवास। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जिला इकाई देवास द्वारा गुरू पूर्णिमा समारोह का आयोजन स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर जवाहर चौक देवास में 22 जुलाई को आयोजित किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर के प्रसिद्ध कवि पं. देवकृष्ण व्यास ने की । मुख्य अतिथि शिक्षाविद् एवं कला गुरू राजकुमार चंदन एवं विशेष अतिथि बड़े गुरू महाराज व साहित्याचार्य राम सुमिरन रहे। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती और भारत माता के पूजन मन्त्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से हुआ। अतिथियों का सम्मान अ.भा.साहित्य परिषद् के जिला अध्यक्ष राजभॅंवरसिंह सैंधव, आलोक पायलट, दिलीप कुमार शर्मा, डॉ शर्मिला काटे, डॉ ममता झाला, लीलाधर देथलिया, प्रतिभा चंद्र ने कुंकुम अक्षत लगाकर, अंगवस्त्र और पुष्प हार से किया । इस अवसर पर नागदा के नगजीराम साथी को साहित्य परिषद् द्वारा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर दिये जाने वाले गुरू सम्मान देकर सम्मानित किया । साथ ही श्री साथी के काव्य संग्रह अभी समर शेष है-भाग 1 का भी विमोचन किया गया। परिषद् के परामर्शदाता लीलाधर देथलिया और कैलाश पटेल ने साथी का जीवनवृत्त सुनाया। नगर अध्यक्ष दिलीप कुमार शर्मा ने पुस्तक की सार्थकता बारे में उद्बोधन दिया और शिक्षाविद् साहित्यकार कला राजकुमार चंदन ने काव्यसंग्रह को बहुत ही उपयोगी ग्रंथ बताते हुए कहा कि यह पूरा ग्रन्थ महाभारत की तरह देश में हुई स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के देश प्रेम, त्याग और बलिदान की अनेक गाथाओं से छंदबद्ध है । इस ग्रंथ में वीर आल्हा छंद का अद्भुत संयोजन हृदय के रोम-रोम को उद्वेलित करता है। चंदन ने कहा कि यह एक ऐसा छंद है जिसे पढ़ने, सुनने और लिखने में वीर रस का अद्भुत संचार होता है । आने वाली पीढि़यॉं इस ग्रंथ के लिए सदैव साथी की ऋणी रहेगी। श्री राम संप्रदाय देवास के बड़े गुरू महाराज ने उपस्थित सभी कवियों और साहित्यकारों को अपना आशीर्वाद दिया और आशिर्वचनों के साथ कहा कि गुरू नाम लेना अच्छा है । मात-पिता और गुरू जीवन भर साथ नहीं रहते। आजीवन साथ रहने वाले उस गुरू को पहचानो जो हमारे शरीर में ही विद्यमान रहता है और वह है स्वयं का मन। मन को साधो । मन को पवित्र करो । मध को सुदृढ़ करो । जीवन धन्य हो जायेगा। राम सुमिरन जी ने साहित्य एवं सनातन धर्म के बारे में उपदेश दिये । राजेश चौधरी, शर्मिला काटे, ममता झाला, विजय जोशी, राजेश चौधरी, प्रतिभा चंद्र, धीरज साहा, दिलीप कुमार शर्मा, राधेश्याम पांचाल, विनोद मंडलोई, राधेश्याम पटेल, नगजीराम साथी, राजभॅंवरसिंह सैंधव ने गीत और कविताओं का सस्वर वाचन कर कार्यक्रम में देश, धर्म, गुरू , समाज और संस्कृति पर प्रकाश डाला । नगर के प्रसिद्ध कवि पं. देवकृष्ण व्यास ने भगवान राम के जीवन पर आधारित वीर रस की कविता कविता से काव्यगोष्ठी का शिखर कलश चढ़ाया । सुबह लिखूं ना शाम लिखूंगा और न चारों धाम लिखूंगा । मुझको दे दो कोरा कागज उसपर केवल राम लिखूॅंगा । कार्यक्रम का संचालन साहित्य परिषद् के जिला अध्यक्ष राजभॅंवरसिंह सैंधव ने किया और आभार संगठन मंत्री धीरज साहा ने माना ।
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