नर्मदा मैया के स्मरण मात्र से पापों का क्षय हो जाता है -दीदी पुष्पांजली
देवास। परम पूज्य संत रावतपुरा सरकार के सानिध्य में चले रहे चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अन्तर्गत आज आनंद भवन पेलेस स्थल पर नर्मदा पुराण कथा का वाचन दीदी पुष्पांजली ने किया। कथा के प्रथम दिवस पर उन्होंने कहा कि जो होना है वह पूर्व से निर्धारित है। भगवान के द्वारा विधी के द्वारा जो कार्य होने है वह पूर्व से निर्धारित है मानव जब जन्म लेकर आता है तो पहले उसका प्रारब्ध रचित होता है फिर उसके पंच भोतिक शरीर को रचा जाता है। 84 प्रकार की नदीयों में स्नान करने का पुण्य जो जीव को प्राप्त होता है, वह फल प्राणी द्वारा नर्मदा, नर्मदा, नर्मदा कहने पर प्राप्त होता है। गंगा में स्नान करने का फल, तीन दिनों में सरस्वती में स्नान करने का फल एक दिन में मिलता है। वह फल मैया नर्मदा का दर्शन करके प्राप्त होता है। दीदी पुष्पांजली ने कहा स्कन्ध पुराण में सात खण्ड है, उसके एक एक श्लोक महामंत्र है ओर उसी स्कन्ध के रेवाखण्ड को नर्मदा महापुराण कहा जाता है। जब इस धरती पर इस धरा पर कुछ नहीं था, तब मैया नर्मदा थी जो ना बदलने वाली ना विलुप्त होने वाली देवी है, वह साक्षात मां नर्मदा है। हमारे समस्त क्लेश और विकारों का हरण कर ह्दय को पवित्र करने वाली मॉ नर्मदा की पवित्र तरंगे है तीनों प्रकार के तापों का अंत करने वाली मॉ नर्मदा है। नर्मदा जी की आराधना साधु संत के साथ देवी देवता भी करते है विश्व की ऐसी पहली नदी है जिसकी प्रदक्षिणा की जाती है। भगवान शंकर की दो पुत्री है एक मनसा देवी और दूसरी नर्मदा मैया। कथा वाचक दीदी पुषपांजली बताती है कि जिनकी कुंडली में सर्पदोष रहता है, जाने अनजाने में पाप हो जाता है यदि ऐसे लोग नर्मदा खण्ड में एक साल तक निवास करते है तो दोष मुक्त हो जाते है नर्मदा जी का जल पीने से बुध्दी पवित्र हो जाती है विवेक की ग्रंथी खुल जाती है वर्तमान में जो शिक्षा दी जा रही है उसमें प्रबंधन होता है किन्तु संस्कारों की कोई प्लानिंग नहीं होती है जिससे बच्चे दिशा हीन हो जाते है तथा जीवन के उद्देश्य से अनभिज्ञ रहते है नर्मदा पुराण जीवन जीने की कला सिखाती है। व्यास पीठ का पूजन आयोजक महाराज विकमसिंह पवार ने किया। आयोजक विधायक राजमाता गायत्री राजे पवार ने आज से प्रारंभ हुई नर्मदा पुराण की कथा को सुनने का आव्हान शहर वासियों से किया है। आज संत सिरोमणी रावतपुरा सरकार ने प्राचीन गणेश मंदिर पहुंचकर दर्शन किये।