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आइए हम जल संरक्षण के नारों को यथार्थ में बदल देंजल संरक्षण अभियान पर जय हिन्द सखी मंडल की कार्यशाला संपन्न

देवास। जिलाधीश ऋषव गुप्ता के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे अमृत संचय अभियान के अंतर्गत जय हिन्द सखी मंडल द्वारा जल संरक्षण अभियान पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए पायल जैन ने कहा कि हमने जल को लेकर नारे तो बहुत गढ़े और पढ़े हैं किंतु अब समय आ गया है कि आइए हम जल संरक्षण के नारों को यथार्थ में बदल देें। ऐसा नहीं है कि रूफ वाटर हार्वेस्टिंग जल संरक्षण का श्रेष्ठ माध्यम है। शहर में अधिकांश घरों का निर्माण इस प्रकार होता है कि वहां इस विधि को नहीं अपनाया जा सकता क्योंकि एक एक दो दो कमरों के घर बिलकुल सटकर बने होतेे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि ऐसे घरों में रहने वाले लोग जल संरक्षण के बारे में सोच भी नहीं सकते। रोजा पठान ने कहा कि हम छोटे बच्चों और मेहमानों को पूरा ग्लास पानी भरकर न दें। कई बार हमने देखा है कि बच्चे और मेहमान एक दो घूंट पानी पीकर रख देते हैं। जो कि हमें फेंकना पड़ जाता है। घर में भी यदि हम उपर से पानी पीने की आदत डाल लें तो बार बार गिलास मांजने की आवश्यकता नहीं रहेगी। अंजली राणा का कहना था कि बर्तन साफ करते समय या तो हम नल की एकदम बारिक धार खोले या बाल्टी में थोड़ा पानी ले लें। सब्जी धोकर पानी को पौधों में डाल सकतेे हैं। भोजन धीमी आंच पर बनाएं जिससे बर्तन जलेंगे नहीं। क्योंकि जले हुए बर्तनों को साफ करने में साबून और पानी दोनों अधिक मात्रा में लगते हैं। तनुश्री विश्वकर्मा ने कहा कि नहाने की बाल्टी और मग छोेटा होना चाहिये जिससे कम पानी में हमारा स्नान हो जाए। नहाने में शावर का उपयोग न करे। पाइप लगाकर गाड़ी न धोंए, बाल्टी में पानी लेकर गाड़ी धोएं।। कार्यशाला में स्नेहा ठाकुर, लक्ष्मी बाली और समीक्षा चौधरी ने भी जल संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किये। हर्षा महाजन और श्रुति विश्वकर्मा की संकल्पना आधारित कार्यशाला के सूूत्रधार रविन्द्र वर्मा और जसविंदर ग्रेवाल थे। संचालन साक्षी चौधरी ने किया तथा आभार आंचल श्रीवास ने व्यक्त कियां

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