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देवास जिले 50 आशाएं पहुुंची ग्वालियर धरना प्रदर्शन में, निलंबित आशाओं को किया बहाल

देवास। जिले भर की आशा कार्यकर्ता आशा-आशा सहयोगिनी श्रमिक संघ के बैनर तले 44 दिनों से हड़ताल पर बैठी है। विभिन्न माध्यमों से सरकार तक अपनी मांगे पहुंचा रही है। जिलाध्यक्ष सुनीता चौहान एवं अनुराधा लोधी ने बताया कि ग्वालियर में आशाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार एवं कार्यवाही के विरोध में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता भोपाल पहुंची और धरना दिया। इसी कड़ी में देवास जिले से भी करीब 50 से अधिक आशाएं ग्वालियर धरने में शामिल हुई। संगठन मंत्री अनिता सिंह ने कहा कि ग्वालियर में आशाओं पर हुई एफआईआर और निलम्बन के विरोध में धरना दिया गया। आशाओं के धरने को देखते हुए जिला प्रशासन ने समस्त निलंबित आशाओं को बहाल कर दिया और जिन आशाओ पर प्रकरण दर्ज हुआ उन्हें खत्म करने का आश्वासन दिया गया। तब जाकर प्रदेश स्तरीय धरना समाप्त हुआ। हड़ताल को डेढ़ माह हो चुका है, लेकिन मप्र शासन द्वारा हमारे पक्ष में कोई ठोस निर्णय नही लिया गया।

हमारी मांग है कि आशाओं को 10 हजार और पर्यवेक्षकों को 15 हजार रुपए देना निश्चित किया जाए। आशा/आशा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जाए, तब तक न्यूनतम वेतन देने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए किया जाए, भविष्य निधि, ईएसआई, ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाए। हमारी हड़ताल 30 अप्रैल तक चलेगी। यदि उसके पश्चात मांगे पूरी नही होती है तो आशाएं भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेगी। ग्वालियर में हुए आंदोलन के दौरान माया पारिता, सम्पत कर्मा, कविता विजया, भगवंता सेफ्टा, नीतु, अमीना बी, भूरि बोड़ाना, मंजू कौशल, रिंकी मुछाल, प्रेमलता, मंजू सहित बड़ी संख्या में जिले की आशाएं पहुंची।

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