आदिवासी समाज ने कहा – आदिवासी समाज के पवित्र भौंगर्या हाट को आदिवासियों का वैलेंटाइन डे कहना गलत है

देवास। आगामी समय में जिले में अलग-अलग जगहो पर आदिवासी समाज के पवित्र भौंगर्या हाट का आयोजन होने वाला है इसी तारतम्य में आज सर्व आदिवासी समाज देवास के समाजजनों द्वारा कलेक्टर कार्यालय देवास पहुंचकर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी बिहारी सिंह को ज्ञापन सौंपा गया। सर्व आदिवासी समाज के सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवडे बिरसावादी द्वारा बताया गया कि जब पूरा आदिवासी समाज रबी की फसल काटकर खेती-बाड़ी के कामों से निवृत हो जाता है,केसवणिया के फूल अपनी सुंदरता से प्रकृति को सुशोभित करते हैं तब होली के सात दिन पहले अलग-अलग तिथियों में प्रदेश के झाबुआ अलीराजपुर धार बड़वानी खरगोन देवास शाजापुर रतलाम आदि जिलों में चिन्हित हाटों में आयोजित किया जाता हैं। इसमें आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा में सज धज कर उत्साह के साथ पूरे कुटुंब परिवार सहित ढोल मांदल पर आदिवासी लोक नृत्य करते हुए पैदल या बैलगाड़ी में बैठकर नजदीक एक गांव या कस्बे में एक हाट बाजार में इकट्ठा होते हैं जिसे भौंगर्या हाट कहते है।आदिवासी भाषा का मूल शब्द भौंगर्यु हाट है जिसे बहुवचन में भौंगर्या हाट कहते हैं।इस हाट में आदिवासी एक दूसरे से मिलते हैं हाल-चाल जानते हैं।होली पूजन की सामग्री खरिदते है।यह आनंद उल्लास से परिपूर्ण वार्षिक मौसम बदलाव का शुद्ध फसली हाट है। ऐतिहासिक रुप से दो भील राजाओं राजा कुसुमर और बालून ने अपनी राजधानी भागोर में फसल कटाई के बाद सामग्रियों की खरीद के लिए मेले और हाट का आयोजन शुरू करना करना शुरू किया था, धीरे-धीरे आसपास के आदिवासी राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया । इन्हीं हाट को भौंगर्या हाट कहा गया है।आदिवासियों के अलिखित इतिहास होने के कारण भ्रामक और आधारहीन तथ्यों का प्रचार प्रसार कर इस पवित्र भौंगर्या हाट को आदिवासियों का वैलेंटाइन डे,युवक युवतियों द्वारा अपनी मर्जी से भाग कर शादी करना,परिणय पर्व ,गुलाल लगाकर या पान खिलाकर शादी की सहमती इत्यादि मनगढ़ंत कहानी बनाकर आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जाता है जबकि इस पवित्र भौंगर्या हाट में ऐसा कुछ नहीं होता है। आदिवासी समाज में होली का डांडा (सेमल का पेड़) गढ़ जाने के बाद आखातीज माह की शुरुआत तक शादी ब्याह तो क्या समाज में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है, क्योंकि इन दो महीनों में मांगलिक कार्य पूर्णतरू प्रतिबंधित होते है। आदिवासियों का इतिहास लिखित नहीं होकर पारंपरिक रूढ़ी प्रथाओं के रूप में जिंदा है।आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था मध्य प्रदेश शासन के प्रतिवेदन के अनुसार भौंगर्या हाट में युवक किसी भी युवती को विवाह करने हेतु भगाकर ले जाता है यह अध्ययन में नहीं पाया गया। इसके अलावा ज्ञापन में बताया गया कि देवास जिले में आयोजित होने वाले भौंगर्या हाट में स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली सामग्रियों से खाद्य पदार्थ बनाकर बेचने वालों पर कार्यवाही की जावे, कई रसायनों से शराब तथा नकली ताड़ी बनाकर बेच दी जाती है जिससे कई लोग बीमार पड़ जाते हैं और मौत तक हो जाती है। भौंगर्या हाट के दुष्प्रचार के कारण महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय होती है, सामाजिक तत्वों द्वारा भांगरे है में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है बिना इजाजत उनकी फोटो लेकर सोशल मीडिया पर एडिट करके चलाई जाती है। इसके लिए प्रशासन द्वारा ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। इस हाट में शराब के कारण असामाजिक तत्वों द्वारा उत्पाद मचाया जाता है जिसके कारण विवाद होता है माहौल खराब होने से सुरक्षा व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होती है, अवैध सट्टा भी चलाया जाता है लालच देकर बच्चों और युवाओं को फसाया जाता है इस पर रोक लगानी चाहिए।कलेक्टर महोदय से आग्रह है भौंगर्या हाट के भ्रामक प्रचार प्रसार पर रोक लगाई जाए।तथा हाट में सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम किए जावे यही निवेदन है।इस अवसर पर प्रीतम सिंह बामनिया, फौजी मगन सिंह भंवरा, संदीप ठाकुर, मुकेश बामनिया, अनिल बरला, विष्णु मोरे, सत्यनारायण देवड़ा,रवि गामड़ ,मोहन सिंह रावत, कपिल पर्ते इत्यादि समाजजन उपस्थित रहे ।
