कला के माध्यम से ही संस्कार अभिव्यक्त होना चाहिए- श्रीपाद जोशी
देवास। नृत्य संगीत शिक्षण एवं सामाजिक कल्याण समिति, देवास द्वारा कलासाधको के लिए शनिवार शाम एक अभूतपूर्व गौरवमय रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीपाद जोशी, संस्कार भारती अखिल भारतीय अधिकारी, संजय शर्मा संस्कार भारती मालवा प्रांत अध्यक्ष, दुर्गेश अग्रवाल महापौर प्रतिनिधि, मनोरमा सोलंकी अध्यक्ष जनभागीदारी समिति, शासकीय कन्या महाविद्यालय व समिति के नृत्य गुरु प्रफुल्ल सिंह गहलोत थे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन व देवपुजन एवं कृष्णा भजन से हुई। देश की शीर्षस्थ कलाकार अंशिका चौहान, ग्वालियर अपने सुमधुर स्वरों में गायन प्रस्तुत किया। आपने सबसे पहले गजल अब मोहे क्यो तरसायो तथा कौन सी बात कहा कैसे कहीं जाती हैं के माध्यम से श्रोताओं को रस विभोर कर दिया। सारनगढ़ से देश के अग्रिम पंक्ति के सर्वश्रेष्ठ ओडिसी नर्तकी आर्यानंदे द्वारा ओडिसी कथक नृत्य दुर्गा तांडव नृत्य व द्रोपदी चीर हरण पर अपनी नृत्य कला की दीर्घ साधना के साकार रूप से कला रसिकों माधुर्य व सुखानुभूती से सराबोर कर दिया। साथ ही घुंघरू नृत्य अकादमी के कलाकारों द्वारा आंगिकम भुवनम वंदन, शुद्ध कथक नृत्य व कृष्ण भक्ति प्रेरित नाटिका की प्रस्तुति दी। अतिथि आशीर्वचन देते हुए श्रीपाद जोशी ने कहा कि कला के बिना व्यक्ति अधूरा है, इसकी पूर्ति ये कलाकार करते है। कला की अभिव्यक्ति में संस्कार भाव अंतर्निहित होता है। मनोरमा सोलंकी ने कहा कि अब समय है जब देवास में एक संगीत व नृत्य महाविद्यालय की स्थापना की जावे, इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। अकादमी की ओर से कलाकारों व संगतकारों को विभूषित किया गया, अकादमी की नृत्यांगना डॉ अपर्णा करकरे के इंडोनेशिया में हुए अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम में सफलता पर सम्मानित किया गया।