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चालान काटने से फुर्सत मिले तो साहब का भी चालान काटा जाये
नियमों को ताक पर रखकर बिना नंबर के वाहन चल रहे अधिकारीयों के

देवास। नियम क्या जो…..? यह सवाल अक्सर आम आदमी मोटा चालान कटवाने के बाद खुद से किया करता है महज हेलमेट न लगाने पर हरजाना देने वाला आम आदमी अक्सर नियमों के जाल में जकड़ता दिखता। लेकिन वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारों के द्वारा खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है कि साहब को आइना दिखा सके. मामला निगमायुक्त, सहायक कलेक्टर के वाहन में लगे नेम प्लेट वाली गाड़ी शहर में घूमती देखी जा सकती है खास बात यह है कि वाहनों में रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज नहीं है लेकिन गाड़ी पर बैठने वाले बड़े जिम्मेदार पद के अधिकारी है लिहाजा खुद की कलम फसाने की जगह जिम्मेदार अक्सर आंख मूंद लेते हैं इस गैर जिम्मेदारना हरकत को लेकर सिर्फ एक ही चर्चा की जा रही है कि क्या सिर्फ आम जनता के लिए ही नियमों का चाबुक बनाया गया हे क्या।
वाहन जब्ती जुर्माना एवं कैद का प्रावधान
सडक़ों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे इन वाहनों पर बहुत सख्त नियमों की बात कहीं गई है मोटर व्हीकल एक्ट पर नजर डाली जाए तो अगर कोई वाहन वहां बिना रजिस्ट्रेशन के सडक़ पर नजर आता है तो पहली बार में उस पर 5000 रूपयों का जुर्माना लगाया जाएगा जबकि अगर कोई वाहन चालक दूसरी बार यह गलती करता है तो उस पर 10,000 रूपयों जुर्माना लगेगा इसके साथ ही उक्त वाहन को जप्त करते हुए दोषी पर 1 साल तक की सजा का भी प्रावधान इसमें रखा गया है। वही अधिकतर नये वाहनों पर नंबर के अभाव में एफ लिखने का प्रचलन तेज होता जा रहा है। परिवहन विभाग आप को एफ लिखने की छूट देता जरूर है, लेकिन मात्र एक सप्ताह के लिए उसके बाद आपको विभाग से जारी नंबर लिखने अनिवार्य है। इसके बाद एफ लिखवाकर गाड़ी चलाना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

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