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डॉ. कलाम सफलता का श्रेेय साथियों को देते थेस्वामी शिवानंद ने मृतप्राय कलाम को संजीवनी प्रदान कीजय हिन्द सखी मंडल ने डॉ. कलाम को दी भावांजलि

देवास। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा मिसाइल मैन, महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर उन्हें भावांजलि प्रदान की गयी। तनुश्री विश्वकर्मा ने डॉ. कलाम के बचपन के बारे में बतातेे हुए कहा कि परिवार में सदस्यांे की संख्या अधिक होने के कारण उनका बचपन अभावग्रस्त रहा। उन्हें आर्थिक समस्या के कारण अखबार भी बांटना पड़े। नियति ने डॉ. कलाम को बचपन से ही गढ़ना प्रारंभ कर दिया था। बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि के कलाम को परिस्थितियां रोक नहीं सकी। अंजली ठाकुर ने कहा कि डॉ. कलाम का सपना पायलट बनने का था। वेे भारतीय वायु सेना में शामिल होकर लड़ाकु पायलट बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एयरोस्पेस विषय में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। दुर्भाग्य से लड़ाकु पायलट बनने के लिए आवश्यक शारीरिक मापदंड पूरा न कर पाने के कारण वे अपना सपना पूरा न कर सके। निराश होकर एक बार तो उन्होंने आत्महत्या तक करने का प्रयास किया किंतु ऋषिकेश के स्वामी शिवानंद जी ने उनमें उत्साह का ऐसा संचार किया कि अब डॉ. कलाम केे जीवन की दिशा बदल चुकी थी। स्वामी शिवानंद ने मृतप्राय कलाम को संजीवनी प्रदान की। तैय्यबा शेख ने कहा कि डॉ. कलाम सहज, सरल और विनम्र स्वभाव के वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपनी टीम को साथ लेकर भारत के मिसाइल कार्यक्रम को एक नई गति प्रदान की। अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के सफल परीक्षणों में डॉ. कलाम का बहुत अधिक योगदान था। पोखरण 2 डॉ. कलाम की ही देन थी। डॉ. कलाम सफलता का श्रेेय साथियों को देते थे। शून्य से शिखर तक की यात्रा में डॉ. कलाम को अहंकार छू भी नहीं पाया । सौम्या ठाकुर, लक्ष्मी बाली, खुशी परिहार, पायल बोडाना, तुबा शेख, स्नेहा ठाकुर, आंचल श्रीवास और राधा कुमावत ने भी भावांजलि अर्पित की।

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