भक्ति में लीन व्यक्ति को क्रोध नही करना चाहिए- पं. आशीष आग्नहोत्री

देवास। श्रीराम मंदिर इटावा पर आयोजित शिव महापुराण कथा के वाचक आचार्य पं. आशीष आग्नहोत्री ने शिव प्रंसग सुनाते हुए कहा की ईश्वर से साक्षात्कार में हमे हमारी तीन इच्छाए अलग रखती है। ये तीन इच्छाए यदि हम न करे तो तुरन्त अलौकिक साम्राज्य का स्वर हमे सुनाई पड़ेगा। वे तीन इच्छाए है जीने की इच्छा, करने की इच्छा, जानने की इच्छा। जीने की इच्छा न करे तो भी ये देह तो जियेगा ही। कुछ करने की इच्छा न करे तो भी प्रारब्ध वेग से कर्म हो ही जायेगा जानने की इच्छा न करें तो जिससे सब जाना जाता है। ऐसे अपना स्वभाव प्रकट होने लगेगा। ये तीन इच्छाएँ ईश्वर साक्षात्कार में बाधक बनती है। जो व्यक्ति भगवान कि भक्ति करता है उसके मन में कभी क्रोध नहीं आना चाहिए। सरल व प्रेमी व्यवहार के साथ रहना चाहिए। यदि व्याक्त भक्ति करता है और वह क्रोध करता है तो उसकी भक्ति कभी सफल नहीं हो सकती है। आज व्यक्ति माता-पिता की सेवा करने के बजाय उनका अनादार कर रहा है। वह चार धाम यात्रा कर प्रभु कृपा पाना चाहता है जो संभव नहीं है। मनुष्य जिस प्रकार धन को हमेशा गुप्त रखता है उसी प्रकार उसे अपनी भक्ति को भी गुप्त रखना चाहिए। मनुष्य को अपना जीवन ऐसा बनाना चाहिए की लोगों में आपकी मांग हुआ करे। भृगु फकीर थे, भृगु को भगवान के प्रति द्वेष न था। उनकी समता निहारने के लिए लगा दी लात तो भगवान विष्णु ने क्या किया क्रोध नहीं किया। भृगु के पैर पकडकर कहा कि मुनि तुम्हे कही चोट तो नहीं लगी, फकीर ऐसे होते हैं। उनके संग में आकर भी लोग रोते हैं। शिव महापुराणकथा में भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष राजीव खण्डेलवाल, देवास विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष राजेश यादव, समाजसेवी रामप्रदारथ मिश्रा, रमेश सिंह ठाकुर ने सम्मलित होकर शिव पुराण ग्रन्थ का पूजन कर अपने हाथों से आरती सम्पन्न की।
