
देवास– प्लास्टिक बैग के प्रतिबंध होने के बाद से ही शहर में एक नया धंधा शुरू हो गया है जहां महज 1 से 2 रुपए की लागत वाले बैग को ग्राहक की मजबूरी का फायदा उठाकर 5 से ₹10 तक में जबरन टिकाए जा रहा है अब चुकी सामान खरीदने के बाद उसे घर तक भी ले जाना है लिहाजा मजबूरी वंश ग्राहकों को दुकानदारी का यह मनमानी बर्दाश्त करनी ही पड़ती है आलम यह है कि आप चाहे किसी भी दुकान से सामान खरीदें अधिकतर दुकानों में आपको कैरी बैग के भी पैसे देने होते हैं ऐसी इक्का-दुक्का ही दुकान है जो आपसे पैसे नहीं लेती है गौरतलब हो कि पहले हर दुकान मुफ्त में सामान ले जाने के लिए कैरी बैग देती थी लेकिन अचानक प्लास्टिक कैरी बैग प्रतिबंधित होने के बाद से ही अन्य कैरी बैग के मनमाने दाम वसूलने जाने लगे हैं।

क्या कहता है नियम….?
उपभोक्ता फोरम में सेल्स आफ गुड्स एक्ट 1930 पर नजर डाली जाए तो इस बात का साफ उल्लेख है कि सामान को डिलीवरी करने की स्थिति में कैरी बैग देना दुकानदार की जिम्मेदारी होती है इस बात को लेकर कुछ ग्राहकों ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करने का मन बना लिया है वहीं कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि जब बैग पर कंपनी अपना विज्ञापन कर रही है तू फिर उसके लिए ग्राहक से पैसे क्यों ले रही है सामान्यता ऐसे प्रकरण बड़े डिपार्टमेंट स्टोर और मॉल में देखे जाते हैं जहां ग्राहकों से कैरी बेग के रुपए लिए जाते हैं।
नियमों को तोड़ मरोड़ कर जनता से ठगी का खेल
कैरी बैग के लिए पैसे लेने की शुरुआत हुई प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल्स 2011 के आने के बाद इसके पीछे सरकार का मकसद यह था कि प्लास्टिक मैनेजमेंट किया जाए इसके तहत किसी भी ग्राहक को रिटेलर की तरफ से कैरी बैग मुफ्त में मुहैया नहीं कराने का प्रावधान किया गया था ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया ताकि ग्राहक प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें और अपने घर से कैरी बैग लाएं जो लोग फिर भी प्लास्टिक का बैग लेते हैं उनसे पैसे लिए जाएंगे जो प्लास्टिक मैनेजमेंट में काम आएगा दिलचस्प यह है कि इस नियम में कैरी बैग को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि यह प्लास्टिक का कैरी बैग होना चाहिए लेकिन रिटेलर ने इस नियम का दुरुपयोग किया और उन्होंने कागज और कपड़े के बैग भी मुफ्त में देना बंद कर दी है और ग्राहक से पैसे लेने शुरू कर दिए आगे चलकर यह पाया गया कि कैरी बैग की न्यूनतम कीमत कितनी होना चाहिए यह तय नहीं किया गया है पैसे कैसे म्युनिसिपल अथॉरिटी को ट्रांसफर होंगे यह भी नहीं बताया गया था ऐसे में 2011 के नियम को 2016 में बदल दिया गया इसके तहत तय यह हुआ कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रिटेलर से पैसे रजिस्ट्रेशन के समय हे लिए जाएंगे मार्च 2018 में 2016 वाले नियम को बदल दिया गया और कैरी बैग के लिए ग्राहकों से पैसे लेने वाला नियम ही खत्म कर दिया गया यानी किसी भी रिटेलर को कागज के या कपड़े के कैरी बैग के लिए पैसे लेने की अनुमति तो पहले ही नहीं थी अब प्लास्टिक के करीब 1 के लिए भी पैसे नहीं ले सकते थे हां वह बात अलग है कि जब कोई रिटेलर प्लास्टिक का बैग मुफ्त में भी नहीं दे सकता वरना जुर्माना लगना तय है।

