आपका शहरउज्जैनदेवासमध्यप्रदेश

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने दिया प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कमिश्नर एवं जिलाधीश के नाम ज्ञापन

देवास। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कमिश्नर एवं जिलाधीश के नाम जिलाध्यक्ष गगनसिंह पटेल के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि वर्तमान बीमा राशि सन् 2020-2021 का वितरण हो रह है जिसमें अनावरी 65-90 प्रतिशत का रेशो आया था, जिसमें किसानों को फसल की संपूर्ण नुकसानी मानते हुए 20 से 25 हजार रूपये प्रति हेक्टर के हिसाब से बनती है जबकि बीमा राशि का वितरण 2000 से 5000 रूपये के बीच हो रहा है तथा किन्हीं पटवारी हल्के नम्बर तो पूर्णत छूट गए हैं। प्रत्येक पटवारी हलका नम्बर की अनावरी के मान से बीमा राशि वितरिण की जावे। सेवा सहकारी संस्थाओं में रासायनिक खाद की पर्याप्त नहीं है।उचित मानक की कंपनियों से ही खाद किसानों को दिया जावे।  राजस्व विभाग द्वारा किसानों की राहत राशि में जो अनियमितता है उस राशि को संबंधित किसान को वितरित की जावे। किसानों के सभी उत्पादन दूध, फल, सब्जी सहित के लागत के आधार पर लाभकारी समर्थन मूल्य तय हो एवं संपूर्ण कृषि उत्पादन को समर्थन मूल्य पर ही खरीदी की गारंटी का कानून बने। समर्थन मूल्य अंतर्गत शासकीय फसल खरीदी की व्यवस्था में सुधार कर खरीदी प्रारंभ होने की अवधि फसल उत्पादन के साथ प्रारंभ हो, वर्तमान में किसान की फसल तैयार होने के दो माह बाद तुलाई केन्द्र प्रारंभ किये जाते है, इस कारण से छोटे एवं मझले किसानों का उत्पादन लूट नीति के अंतर्गत व्यापारियों द्वारा लूटा जाता है। राजस्व विभाग में करोडो प्रकरण, फोती नामांतरण, स्वैच्छिक नामांतरण, खुद बटान एवं सीमांकन के कई वर्षो से लंबित पड़े हैं एवं देखा जा रहा है कि प्रतिवर्ष इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। विदित हो कि इन निराकरण का एक निश्चित समय भी है। अत इन्हें नियत अवधि में निपटान किया जावे तथा जो लंबित प्रकरण अवधि में लागू हो चुके हैं उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर शीघ्र निराकरण किया जावे। पिता की मृत्यु के बाद बहनों का नाम उनकी इच्छा के विपरित पिता की संपत्ति में जोड दिये जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप कई परिवार विघटित हो रहे है, इस विसंगती को तत्काल बंद किया जावे। सन 1972 मंडी अधिनियम के तहत जिन फसलों के समर्थन मूल्य तय किये गये है उनकी नीलामी बोली समर्थन मूल्य के उपर शुरू हो। जबकि देखा जाता है कि बोली समर्थन मूल्य के नीचे शुरू होकर नीचे ही समाप्त हो जाती है। इस विडम्बना को तत्काल दूर किया जावे। जो भी कृषि उत्पाद भारत में उत्पादित होते हैं एवं उनके मूल्य किसानों को मिलने लगते है तब सरकार उन उत्पादों का आयात करती है। यह देश के किसानों के साथ बड़ा धोखा है। शासन की इस दूषित एवं किसान विरोधी नीति पर रोक लगाई जावे। प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में 10 टन से अधिक तौल क्षमता का धर्म कांटा न लगाया जावे इससे बडे कांटे पर टेªक्टर ट्राली तुलाई में किसानों का बहुत नुकसान होता है। किसी भी उपक्रम हेतु किसान एवं मजदूर की अधिग्रहण की जाने वाली जमीन का मुआवजा वहां की स्थानीय जमीन के बाजार मूल्य का चार गुना दर से भुगतान किया जावे। कृषि यंत्रों पर से जी.एस.टी. समाप्त की जावे या फिर किसानी उत्पादों के मूल्य पर किसानों को उपकरण पर लगने वाली जी.एस.टी. दर से पैसा जोड़कर भुगतान किया जावे। राजनैतिक पार्टियों द्वारा जारी किये जाने वाले चुनावी घोषणा पत्र को कानून के दायरे में लाया जावे ताकि किसी भी राजनैतिक दल द्वारा झूठा एवं औचित्यहीन घोषणा पत्र जारी न किया जा सके। उक्त सभी बिंदुओं का निराकरण अतिशीघ्र किया जाए, अन्यथा भविष्य में किसान को कमीश्नर कार्यालय का घेराव कर आंदोलन हेतु विवश होना पड़ेगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष लालसिंह बागवान, मालवा निमाड प्रांत उपाध्यक्ष कैलाश पाटीदार, उज्जैन संभाग अध्यक्ष मानसिंह कोठारी, जिलाध्यक्ष गगनसिंह पटेल, जिला उपाध्यक्ष हरिसिंह सालमखेड़ी, सोनकच्छ तहसील अध्यक्ष मेहरबानसिंह सेंधव, जिला कोषाध्यक्ष रूघनाथसिंह पोनासा सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button

कृपया खुद मेहनत करे...