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लड़कियां प्राकृतिक रूप से कोमल हृदय की होती हैपुलिस नौकरी नहीं सेवा का एक माध्यम है-चंद्रकला अर्वे

देवास। वर्तमान युग सोशल मीडिया का युग है। हमारा सारा समय सोशल मीडिया पर ही व्यय हो रहा है। इससे लाभ कितना हो रहा है यह तो ज्ञात नहीं पर इससे होने वाली हानियां हम सबको दिखाई दे रही है। इससे बचने के लिए भय नहीं समझ उत्पन्न करना है। लड़कियां प्राकृतिक रूप से कोमल हृदय की होती हैं। वे हर किसी पर आसानी से विश्वास कर लेती हैं। किशोरावस्था लड़कियों की संवेदनशील अवस्था है। इस अवस्था में आते ही लड़कियों को अपना लक्ष्य तय कर लेना चाहिए। अपने लक्ष्य में माता पिता के सपनों को भी शामिल करना चाहिए। प्रत्येक माता पिता जितना अपनी बेटी के लिए चिंतित होते हैं उतना बेटे के लिए नहीं। अतः बेटियों का कर्तव्य है कि वे कुछ बनना चाहती हो तो बनकर दिखाएं। प्रत्येक माता पिता की यही अपेक्षा रहती है कि हमारी बेटी परिवार का नाम रोशन करे। अतः जो भी बेटियां पढ़ाई कर रही है वे मन लगाकर पढ़ाई करें। विषयों की गहराई में जाने से ही सफलता के मोती मिलते हैं। परीक्षा के लिए आय एम पी के चक्कर में न रहें। जो छात्राएं मैजिक से स्कूल जाती है वे कभी आगे न बैठे।

यदि मैजिक वाला मीठी मीठी चिकनी चुपड़ी बात करे और किराया न ले तो छात्राओं को तुरंत गाड़ी से उतर जाना चाहिए और अपने माता पिता या शिक्षक को बताना चाहिए। जय हिन्द सखी मंडल की छात्राओं के साथ विशेष भेंट में महिला थाना प्रभारी चंद्रकला अर्वे ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार में होने वाले विवाद को हवा न दें। बातें छोटी होती हैं पर उनका प्रभाव बहुत बड़ा हो जाता है। सहनशीलता और धैर्य रखने से परिवार कभी नहीं बिखरता है। पुलिस नौकरी नहीं सेवा का एक माध्यम है। पुलिस से डरना नहीं सहयोग करना चाहिए। रविन्द्र वर्मा और अनुभव मिश्रा के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में तनुश्री विश्वकर्मा, रोजा पठान, स्नेहा ठाकुर, खुशी परिहार, आंचल श्रीवास और पायल बोडाना उपस्थित थीं। 

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