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श्रीमद् भागवत की लीला मनुष्य में भक्ति पैदा करती है और भक्ति ईश्वर के दर्शन  कराती हुई-रासाचार्या बृज रत्न  वंदना श्री

देवास। कलयुग में श्री हरि का साक्षात स्वरूप श्रीमद भागवत है जिस श्रीमद भागवत कथा श्रवण करने का लाभ बैकुंठ वासी देवता को नहीं मिलता है उस कथा का लाभ धरती वासी को सहज रूप में प्राप्त करने का अवसर ठाकुर जी ने दिया है। जब शुकदेव जी के पास देवता अमृत लेकर पहुंचे और कहा कि ये अमृत आप लेलो और श्रीमद भागवत आप हमे देदो तब शुकदेव जी कहा कि धरती वासियों को अमृत नहीं भक्ति के साथ मोक्ष चाहिए। एक बार धरती पर भ्रमण करते हुए देवाश्री नारद जी वृंदावन की भूमि पर गए तो उन्होंने देखा वहां स्वयं भक्ति अपने दो बीमार पुत्र के साथ विलाप कर रही है नारद जी ने उस स्त्री की दशा को देखकर परेशानी का कारण पूछा तो भक्ति ने कलयुग में अपनी स्थिति का वर्णन किया तो नारद जी ने भक्ति के पुत्र जान ओर वैराग्य को जवान करने का उपाय सनक संन्दन सनातन, सनत कुमार ऋषियों से पूछा तो इन ऋषियों ने बताया कि वेदों के श्रवण से जो महा सार का फल मिलता है उस फल रस का नाम है श्रीमद भागवत पुराण। जिसके श्रवण से भक्ति पैदा होती है भक्ति से वैराग्य जागता है और ज्ञान का प्रकाश फैलता है । यह आध्यात्मिक वाणी चौत्र  नवरात्रि पर्व पर मां कैला देवी के मंदिर में प्रारंभ हुई श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर वृंदावन की रासाचार्य  बृज रत्न वंदना श्री भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहे।  लीला मय इस कथा में बृज  की  पौराणिक संस्कृति को विश्व स्तर तक पहुंचने वाली बृजलोक संस्कृति एवं सेवा संस्थान के 40 कलाकारों ने जब कथा प्रसंग पर दृष्टांतो का सजीव अभिनय किया तो श्रोता मंत्र मुग्ध  हो गए।   श्रीमद  भागवत एवं व्यास पीठ की पूजा आयोजक मन्नूलाल गर्ग, दीपक गर्ग अनामिका गर्ग एवं परिवार ने किया। आरती में कैलादेवी मंदिर उत्सव समिति के समिति संयोजक रायसिंह सेंधव , देवकृष्ण व्यास, रमन शर्मा, ओ पी दुबे, अजब सिंह ठाकुर ओ पी तापडिघ्या, ने की।कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।


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