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शा.मा.विद्यालय बावडिया के विद्यार्थियों ने उज्जैन में जमाया रंगसंभाग स्तर पर हासिल की उपलब्धि

देवास। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कालिदास समारोह में इस वर्ष 09 अक्टूबर से जिला स्तर से चयनित प्रतिभागियों की प्रतियोगिता का आयोजन संभाग स्तर पर दिनांक 16 अक्टूबर को उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय माधव नगर उज्जैन में किया गया। प्रतियोगिता में कनिष्ठ वर्ग से शासकीय माध्यमिक विद्यालय बावडियां के विद्यार्थियों द्वारा संस्था प्रभारी प्रीति वर्मा के मार्गदर्शन में कालिदास द्वारा रचित खंडकाव्य ऋतुसंहार नृत्य का मंचन प्रतिभा, कुमकुम, मुस्कान, सपना, राजनंदिनी, महक, भक्ति, कुमकुम, पायल, आदर्श, मन एवं लक्की के द्वारा किया गया। जिसमें संस्कृत साहित्य के शिरोमणि महाकवि कालिदास के द्वारा ऋतुओं के प्राकृतिक परिवर्तनों के अतिरिक्त जन-जीवन पर भी उनके प्रभाव को स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है, जिससे उस काल की सभ्यता पर भी पर्याप्त प्रकाश पड़ा। ऋतुओं में बसन्त को ऋतुराज माना गया है, अतएव इस प्रस्तुतीकरण में उसे सबसे अंत में स्थान दिया गया है। फलत यह काव्य-पाठ ग्रीष्म ऋतु के वर्णन से आरंभ होता है। इससे ज्ञात होगा कि महाकवि कालिदास के समय ग्रीष्म ऋतु में रात्रि के समय जहां संगीत की स्वर लहरी प्रवाहित होती थी। वहीं दिन को लोग रंगीन सुगंधित जल के फुहारों के नीचे बैठकर उसके ताप से अपना बचाव करते थे। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रचंडता संपूर्ण प्राणी जगत को किस प्रकार व्याकुल करती है और इसके विपरीत चन्द्रमा की शीतलता सभी प्राणियों को सुकून देती है, ग्रीष्म ऋतु के पश्चात् वर्षा ऋतु एक ओर तो इस धरती को चारों और हरा-भरा कर देती है, जिसे देखकर न केवल मनुष्य अपितु पशु पक्षियों को भी प्रसन्नचित्त कर देती है, मोर अपने नृत्य से अपनी प्रसन्नता प्रकट करता है और दूसरी ओर आंधी की तेज हवाओं और बिजली के चमकने से प्राणी जगत पर क्या- क्या प्रभाव पड़ता है ये दर्शाया गया।  आगे के क्रम में शरद ऋतु में महाकवि कालिदास ने शरद पर नई ब्याही बहू का आरोप किया है। पके हुए धान के खेतों के पीलेपन पर नई बहू के हल्दी से रंगे हुए पीले चीर की सुन्दरता देखते ही बनती है। इस ऋतु में  आसमान खुला हुआ नीला दिखता है, आसमान बादल रहित रहता है। शरद ऋतु के पश्चात् हेमंत ऋतु में किस प्रकार फसलें धरती को ढक लेती है का सुंदर बिम्ब प्रस्तुत किया गया। हेमंत ऋतु के पश्चात् शिशिर ऋतु आती है इस ऋतु में मौसम भी ठंडा रहता है। चावल और गन्ने की फसलों से खेत ढके हुए सुंदर लगते है।इसके पश्चात् ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। बसंत ऋतु में चारों तरफ का वातावरण सुंदर और मनमोहक हो जाता है आम के वृक्षों पर  मंझरिया आती है जिन पर चारों ओर काले भौंरे गुंजन करते हुए मंडरा रहे है। पेड़ पौधे फल और पुष्पों से लदे हुए है पूरे वातावरण में किस प्रकार सुगंधित हवा बह रही है आदि भावों को बच्चों के द्वारा नृत्यनाटिका एवं संस्कृत संवादों के माध्यम से षड् ऋतुओं का सुंदर मंचन किया गया। और संभागीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। संभागीय स्तर पर प्राप्त इस उपलब्धि पर पूर्व संस्था प्रधान वृंदा शर्मा, संकुल प्राचार्य रुचि व्यास, बीआरसी किशोर वर्मा, जन शिक्षक सुरेंद्र राठौर, निशा राठौर द्वारा नृत्य नाटिका में प्रथम स्थान प्राप्त कर देवास जिले का गौरव बढ़ाने पर सहभागी बच्चों एवं विद्यालय परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर संस्था के शिक्षक संतोष धानक का विशेष सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त जिले से संभाग स्तर पर कालिदास समारोह  में श्लोक पाठ कनिष्ठ वर्ग में वरिष्ठा सोलंकी, सी. एम. राइज, देवास द्वितीय स्थान पर रही। वरिष्ठ वर्ग में पायल ओसरिया मेढकी धाकड़  तृतीय स्थान रही।

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