देवास। शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है। प्राचीन भरतीय परम्परा से शिक्षक का समाज मेें एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। समाज में शिक्षक का स्थान कोई नहीं ले सकता है। वैश्वीकरण के इस युग में जब प्रगति और विकास के नित नए आयाम परिदृश्य में दिखाई दे रहे तो उनका सूत्रपात शिक्षा के माध्यम से एक शिक्षक ही कर सकता है। एक नवागत शिक्षक का एक सपना होता है। संकल्पवान शिक्षक के लिए बाधाओं की अनन्तता का भी अंत है। महारानी चिमनाबाई शा.क.उ.मा.वि. देवास में शिक्षकों के विदाई और स्वागत समारोह में उक्त विचार महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल ने व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा विद्यार्थियों की परीक्षा लेती है और परिस्थितियां शिक्षकों की। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी एच एल खुशाल ने स्थानांतरित शिक्षकों की विदाई ओर नवागत शिक्षकों के स्वागत समारोह को अनूठी पहल बताते हुए कहा कि इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम होने से शिक्षकों में एक अनुकूल प्रेरणा का प्रादुर्भाव होता है। शिक्षक ध्यान रखें कि शिक्षा के साथ संस्कार भी आवश्यक है। स्थानांतरित शिक्षकगण मनोहर सोलंकी और दिनेशचंद्र चौधरी को अभिनंदन पत्र भेंट किए गए। अभिनंदन पत्र का वाचन रूचि व्यास ने किया। नवागत शिक्षकगण मीनल राज भदोरिया, मंजु चौधरी, ज्ञानेश्वरी पटले, डॉ. शिल्पी बैनर्जी, रूचिका कोरान्ने, कविता सोनी, मनोज कुमार कुॅवातिया, हितेन्द्र यादव और जी.एस. ठाकुर का अतिथियों द्वारा पुष्प्माला से स्वागत किया गया। छात्रा रोशनी कुमावत ने नवागत शिक्षकों का परिचय दिया। इस अवसर पर सुनिता खाबिया, अर्चना डोडवे, नीलम पटेरिया, अमृता चौधरी, राखी शर्मा, वंदना गोयल, प्रवीण जादौन, आदिल पठान, संजय जोशी, नरेन्द्र शर्मा, बंशीधर केश्वरे, बी एल भाटी, वंदना जोशी, एकता श्रीवास्तव और सीमा भटनागर सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं। कार्यक्रम में पार्षदगण आलोक साहू और श्रीराम यादव तथा भरत चौधरी भी उपस्थित थे। संकल्पना वर्षा शर्मा और कविता रघुवंशी की थी। संचालन मनोज बजाज ने किया तथा आभार प्राचार्य दिव्या निगम ने माना। संयोजक प्रसून पंड्या थे।