10 मई को देवास में नेशनल लोक अदालत , विवादों का होगा आपसी सुलह से समाधान, न्यायिक प्रक्रिया होगी सरल और त्वरित

देवास। जिले में न्यायिक व्यवस्था को आम नागरिकों के लिए सुलभ, सरल और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत 10 मई 2025, शनिवार को देवास में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। यह लोक अदालत जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में आयोजित होगी, जहां बड़ी संख्या में मामलों का त्वरित, निष्पक्ष एवं सौहार्दपूर्ण निपटारा किया जाएगा। जिला न्यायालय परिसर में आयोजित एक प्रेसवार्ता के माध्यम से दी गई। इस दौरान स्पेशल जज एवं लोक अदालत प्रभारी सुश्री सुमन श्रीवास्तव और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव रोहित श्रीवास्तव, जिला विधिक सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने मीडिया से चर्चा करते हुए इस पहल के उद्देश्यों, प्रक्रिया और जनहित में महत्व को स्पष्ट किया।

न्यायिक प्रक्रिया को मिलेगा नया आयाम – लोक अदालतें भारतीय न्याय प्रणाली की एक वैकल्पिक और अधिक मानवीय शाखा हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य यह है कि आम नागरिक वर्षों तक न्यायालयों के चक्कर काटने के बजाय अपने मामलों को आपसी सुलह और समझदारी के माध्यम से हल करें। प्रेसवार्ता में जज सुमन श्रीवास्तव ने बताया, लोक अदालतों के माध्यम से ऐसे हजारों मामले हल होते हैं जो सामान्य न्यायिक प्रक्रिया में वर्षों तक लंबित रहते हैं। यह प्रणाली न्यायालय पर दबाव भी कम करती है और जनता को शीघ्र न्याय का अनुभव कराती है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे बहुत से केस होते हैं, जिनमें दो पक्ष आपसी बातचीत से समाधान चाहते हैं, लेकिन उन्हें मंच नहीं मिलता। लोक अदालत वही मंच है जहां न केवल कानूनी प्रक्रिया सरल होती है बल्कि उसमें मानवीय संवेदना का समावेश भी होता है।
कौन-कौन से मामले निपटाए जाएंगे – लोक अदालत में दीवानी, फौजदारी (Compoundable), मोटर दुर्घटना दावा (MACT), पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद, बैंक ऋण, बिजली बिल, बीमा दावे, नगर निगम शुल्क, जलकर, उपभोक्ता शिकायतें, ट्रैफिक चालान आदि से संबंधित प्रकरणों को प्राथमिकता दी जाती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि, “यह एक सुनहरा अवसर है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके केस वर्षों से विचाराधीन हैं या जिनका विवाद आपसी सहमति से सुलझ सकता है। न तो कोर्ट फीस लगती है, न ही कोई तकनीकी बाधा। बस दोनों पक्षों की सच्ची इच्छा होनी चाहिए।
लोक अदालत की प्रक्रिया- लोक अदालत में मामलों का निपटारा पूरी तरह आपसी सहमति पर आधारित होता है। किसी भी पक्ष पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाता। न्यायाधीशों के साथ-साथ प्रशिक्षित मध्यस्थ और अधिवक्ता दोनों पक्षों को समझाते हैं, उचित मार्गदर्शन करते हैं और समाधान तक पहुंचाने में मदद करते हैं। यदि समझौता होता है, तो संबंधित न्यायालय द्वारा उस समझौते को वैध मानते हुए निर्णय पारित किया जाता है। यह निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है तथा इसके विरुद्ध कोई अपील नहीं होती।
सामाजिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी- प्रेसवार्ता में यह विशेष रूप से रेखांकित किया गया कि लोक अदालतें केवल कानूनी नहीं, सामाजिक संस्था की भी भूमिका निभा रही हैं। कई बार पारिवारिक विवादों, तलाक, आपसी कलह जैसे मामलों में जब दोनों पक्ष शांत वातावरण में बैठकर बातचीत करते हैं, तो उन्हें यह समझ आता है कि वे अपनी ही जिंदगी को मुश्किल बना रहे हैं। ऐसे में कई टूटते हुए परिवार फिर से एक हो जाते हैं। लोक अदालत की यह खासियत है कि वह केवल कानून का पालन नहीं कराती, बल्कि लोगों के रिश्तों को भी जोड़ने का काम करती है।
आमजन से भागीदारी की अपील – इस अवसर पर अधिकारियों ने देवास जिले के नागरिकों से अपील की कि वे इस लोक अदालत का लाभ उठाएं। जिनके मामले न्यायालयों में लंबित हैं या जो विवाद न्यायालय तक पहुंचने की स्थिति में हैं, उन्हें चाहिए कि वे 10 मई को जिला न्यायालय परिसर में उपस्थित होकर लोक अदालत में अपना पक्ष रखें। इसके अतिरिक्त उन्होंने पत्रकारों से भी अपील की कि वे इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक इससे लाभान्वित हो सकें।
