109 वर्ष पुरानी संस्था श्री शिव छत्रपति गणेश मंडल के दो दिवसीय आयोजन का शुभारंभ
देवास। अपने चिर परिचित स्थान मल्हार स्मृति मंदिर में 109 वर्ष पुरानी संस्था श्री शिव छत्रपति गणेश मंडल के दो दिवसीय आयोजन का शुभारंभ योगेश रनमाले की संगीत सरिता रूपी गायन से हुआ। इसी श्रृंखला में आज 14 सितम्बर को ओडिसी नृत्य गुरू डॉ. गजेन्द्र पांडा एवं उनकी सुयोग्य शिष्या आर्या नंदी भुवनेश्वर द्वारा ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
डॉ. गजेंद्र कुमार पांडा ओडिसी नृत्य के क्षेत्र में एक अनुभवी गुरु और प्रतिपादक हैं, जिन्होंने अपना जीवन ओडिसी नृत्य शैली के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित किया है। उन्होंने गुरु देबप्रसाद दास की शैली को और अधिक सुंदर व प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिन्होंने सदियों पुराने ओडिसी नृत्य को पुनर्जीवित किया है। डॉ पांडा का जन्म 1966 में ओडिशा के गंजम जिले में हुआ था। नौ साल की उम्र में सखी नट के अखाड़े (अभ्यास गृह) से आरंभिक शुरुआत से लेकर गुरु रघुनाथ पुरोहित, गुरु भुवनेश्वर मिश्रा, गुरु प्रभाकर श्रीचंदन के कुशल मार्गदर्शन में जात्रा, नाटक और रंगमंच में उनकी भागीदारी रही और अंततः उन्होंने गुरु देबप्रसाद दास के संरक्षण में अपनी प्रतिभा और कलात्मक आकांक्षाओं को विकसित किया और विभिन्न नृत्य और संगीत संस्थानों का नेतृत्व किया। उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार उन्होंने एबीजीएमव्ही मंडल मुंबई से नृत्य विशारद और नृत्य अलंकार जैसी डिग्री प्राप्त की। अब वे गुरु देबप्रसाद दास से प्रेरित त्रिधारा को सम्भाल रहे हैं और कुशल कोरियोग्राफी, प्रदर्शन और शिक्षण संस्थान चलाते हैं। डॉ. पांडा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा वरिष्ठ फैलोशिप और हिन्दुस्तान आर्ट और म्युजिक सोसायटी द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। डॉ. पांडा का प्रदर्शन और कोरियोग्राफी दुनिया भर में प्रशंसित है, और उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के साथ काम किया है। उनकी अनूठी शैली शब्द स्वर पट्टा तकनीक पर आधारित है, और वे पारंपरिक नृत्य शिक्षण के लिए आदान प्रदान संचार पर जोर देते हैं। डॉ. पांडा का कला के क्षेत्र में योगदान अद्वितीय है, और उन्हें ओडिसी नृत्य के ध्वजवाहक के रूप में जाना जाता है। उनकी यात्रा को इस वर्ष स्वर्ण समारोह में मनाया जा रहा है। डॉ. पांडा अमेरिका, जापान, दुबई, बहरीन आदि 20 से अधिक देशों में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दे चुके है। देश के तमाम विख्यात संगीत समारोह में आप प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
ओडीसी नृत्य के क्षेत्र में आर्या नंदी एक उत्कृष्ट नृत्यांगना के रूप में उभरता हुआ नाम है। गुरु गजेंद्र पांडाजी के गहन और कल्पनाशील संरक्षण में, वह दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की शक्ति रखने के लिए प्रशिक्षित एक प्रतिबद्ध ओडिसी नर्तकी बन गई है। आर्या को जो चीज अलग करती है, वह है उनकी सहज समझ, शिष्टता, सटीकता। सुश्री आर्या की नृत्य प्रतिभा उनके बचपन से ही दृष्टिगोचर होने लगी थी। आर्या का पहला एकल प्रदर्शन वर्ष 2010 में रायगढ़ के विश्वप्रसिद्ध चक्रधारा समारोह में था। उनके पिता रविंद्र नंदी व उनकी पहली नृत्य शिक्षिका मां विनीता नंदी ने उनकी प्रतिभा को और आगे बढ़ाने के लिए गुरु श्री पांडा जी के संरक्षण में रखा जिनके कुशल मार्गदर्शन में ओडिसी नृत्य शैली में वे एक उभरता हुआ सितारा बनी हैं। पिछले 6 वर्षों के भीतर आर्या ने भारत और विदेश में कई प्रतिष्ठित महोत्सवों में प्रदर्शन किया है और छत्तीसगढ़ और ओडिशा के महामहिम राज्यपाल, मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्री, ओडिशा के सांस्कृतिक मंत्री से सम्मान प्राप्त किया है। उन्होंने पुष्कर समारोह में कई बड़ी हस्तियों के सामने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है व सम्मान प्राप्त किया है। नृत्य के रूप में वे अपनी ईश्वर आराधना को साकार करती हैं।