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अहिल्याबाई की 300वीं जन्म-जयंती एवं एक राष्ट्र एक चुनाव पर कार्यक्रम का आयोजन

देवास।  लोकमाता अहिल्याबाई की 300 वीं जन्म-जयंती प्रेरणा उत्सव एवं एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे दो प्रासंगिक विषय से जुड़े विचार दिनांक 4 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस,श्री कृष्णाजीराव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवास के संस्कार हॉल के सभागार में गुन्जायमान रहे । शासन के निर्देशानुसार उक्त दोनों ही संदर्भ में कार्यक्रम का आयोजन मुख्य अतिथि मनीष पारीक जन भागीदारी समिति अध्यक्ष एवं विधायक प्रतिनिधि ,विशेष अतिथि लोकेंद्र शुक्ला जन भागीदारी समिति सदस्य एवं डॉ. एस.पी.एस. राणा. प्राचार्य श्री कृ.प. शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवास की अध्यक्षता में रखा गया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ रश्मि ठाकुर ,मुख्य वक्ता- डॉ सीमा सोनी एवं डॉ रजत राठौर ने मंच साझा किया। कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा मां वीणापाणी के समक्ष दीपप्रज्जवलन पुष्प अर्पण एवं डॉ मोनिका वैष्णव की मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात मंचासीन विद्वतजन का उत्तरीय पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा, अतिथि परिचय, आयोजन समिति के दायित्व को डॉ रश्मि ठाकुर ने रोचक शब्दों में प्रस्तुत किया और कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई धर्म ,धैर्य और साहस की प्रतिमूर्ति रही है और एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा लोकतांत्रिक देश की जड़ों को सुदृढ़ता प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। दोनों ही विषय के विचार राष्ट्रोत्थान में सहायक सिद्ध होंगे। मुख्य वक्ता डॉ रजत राठौर ने एक राष्ट्र एक चुनाव के स्वरूप को समझाया और कहा कि एक चुनाव होने से समय, अर्थ एवं सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के अतिरिक्त भार को कम किया जा सकता है। अलग अलग चुनाव मतदान प्रतिशत को कम करता है। चुनाव कार्य में खर्च होने वाली करोड़ों रुपए की राशि को लोककल्याण हेतु लगाया जा सकता है। विषय  विशेष पर तैयार समर्थन प्रस्ताव प्रपत्र का वाचन डॉ संजय गाडगे ने किया। लोकमाता अहिल्याबाई पर अपने विचार रखते हुए डॉ सीमा सोनी ने कहा कि अहिल्याबाई ने उस समय वैचारिक क्रांति की चिंगारी को जन्म दिया ,जब महिलाओं को घर से निकलने की आजादी नहीं थी। देवी अहिल्याबाई का उदार व्यक्तित्व, कार्यशैली एवं कर्तव्य निष्ठा आज भी अनुकरणीय है। प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने आदर्शों एवं सिद्धांतों पर अटलता उनके व्यक्तित्व को महान बनाती है। उनकी कुशल शासन व्यवस्था और दूरदर्शिता आज भी प्रासंगिक है। मुख्य अतिथि श्री पारीक ने कहा कि एक राष्ट्र और एक चुनाव की संकल्पना को जन-जन तक पहुंचाना है। रानी अहिल्याबाई होल्कर अपने कल्याणकारी कार्यों के कारण ही लोकमाता कहलाई। अध्यक्षीय  उद्बोधन में डॉ राणा ने अहिल्याबाई के चरित्र को उदात्त एवं प्रेरक बताया और एक राष्ट्र और एक चुनाव की विचारधारा को स्वागत योग्य बताते हुए विषय के व्यावहारिक और चुनौतीपूर्ण पक्ष के विविध पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। उपस्थित विद्यार्थियों ने दोनों ही विषय के विचारों को गंभीरता से सुना ।समस्त प्राध्यापकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। विद्यार्थियों की अनुशासनबद्ध उपस्थिति रही एवं आयोजन समिति के कुशल कार्यशैली से कार्यक्रम सुचारु रूप से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन डॉ सत्यम सोनी ने किया एवं आभार डॉक्टर संजय सिंह बरौनिया ने माना।

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