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इंद्रधनुष को मेरा मोर मुकुट और धूप को पीताम्बर समझ लेनाजय हिन्द सखी मंडल ने श्रीकृष्ण की लघु नाटिका का मंचन किया

देवास। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा जन्माष्टमी के पावन त्यौहार के पूर्व दिवस पर रविवारीय गतिविधि अंगतर्गत एक लघु नाटिका का मंचन किया गया। नाटिका में दर्शाया गया कि जब गोपियों को ज्ञात हुआ कि उनके प्रिय श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा जा रहे है तो उन्हें बहुत दुख हुआ। वे अपनी सुध बुध खो बैठी। सभी गोपियों ने राधाजी को आगे रख श्रीकृष्ण से बहुत विनती की कि वे मथुरा न जाएं । गोपियों नेे अपने अपने तर्क रखते हुए श्रीकृष्ण से कहा कि यदि तुम चले जाओगे तो हमें बांसूरी कौन सुनाएगा। अब ग्वालों के साथ गय्या चराने वन में कौैन जाएगा। दुष्टों से गोकुल की रक्षा कौैन करेगा। अब हम मक्खन किसके लिए बनाएंगे। अब हम मैय्या यशोदा से किसकी शिकायत करने जाएंगे। अब सूने पनघट पर जाकर हम गगरिया कैसे भरेंगे। नाटिका में दर्शाया गया कि कैसे श्री कृष्ण ने गोपियों के प्रश्नों का अपने तर्को से समाधान किया। उन्होंने कहा कि मैं तो तुम्हारे भावों में बस चुका हूं मैं तुमसे दूूर नहीं जा रहा हूं मैं तो सदैव तुम्हारे मन में रहूंगा। बारिश में उत्पन्न इंद्रधनुष को मेरा मोर मुकुट और धूप को पीताम्बर समझ लेना। पत्तों से उत्पन्न ध्वनि मेरी बांसूरी की धुन समझ लेना। इस प्रकार गोपियों को समझाकर श्री कृष्ण मथुरा चले गए। नाटिका में स्नेहा ठाकुर, तनुश्री विश्वकर्मा, शबाना शेख, अंजली ठाकुर ने विभिन्न पात्रों को चरितार्थ किया। राधा कुमावत, श्रुति विश्वकर्मा, समीक्षा चौधरी, साक्षी चौधरी, लक्ष्मी बाली, सौम्या ठाकुर और अंजली राणे का विशेष सहयोग रहा। निर्देशन रविन्द्र वर्मा का था।

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