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क्यों ना जांच अधिकारियों की भी कर ली जाए जांच…!, जिन पर जिम्मेदारी उनके सेट होने की आशंका ज्यादा, समाचार लाईन जल्द हीे करेगा खुलासा….

अमित बागलीकर
देवास।
अक्सर किसी बड़े कांड के बाद मीडिया के सवालों से बचने विभागीय अधिकारी रेट रटाए जुमले का इस्तेमाल करते हैं जिसे समानता जांच के नाम से जाना जाता है अक्सर अधिकारी जांच हो रही है या जांच की जाएगी जैसे वाक्य का प्रयोग कर तत्कालीन राहत खोजने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि इस जुमले के बाद मामला थोड़ा ठंडा पड़ जाता है क्योंकि जांच हो रही होती है कई मामलों में तो यहां तक देखा गया है कि भ्रष्टाचार जांच में ही नया भ्रष्टाचार पनप जाता है हालांकि यह एक विश्वास की बात होती है कि जांच की जा रही है लेकिन जब जांच पर ही जांच आने लगे तो क्या होगा।
संदेह के घेरे में आने लगा है जांच का डेरा….
किसी बड़े भ्रष्टाचार की पोल खोलने के बाद जो सबसे बड़ा कदम उठाता है वह होती है जांच इसके लिए विभाग अपने ही कुछ लोगों की एक जांच टीम बनाकर मामले की जांच की बात करता है जिसे अपने द्वारा की गई तफ्तीश की रिपोर्ट पेश करनी होती है और वहीं से एक नए खेल की शुरुआत भी हो जाती है। अक्सर देखा गया है कि पुराने व्यवहार या नए संबंध बनाने के चक्कर में जांच गोल-गोल घूम जाती है ऐसे में या तो कोई छोटी कड़ी पर ही पूरी जिम्मेदारी मार दी जाती है या फिर गुप्त रिपोर्ट के जरिए क्लीन चिट दे दी जाती है।
जांच कमेटी बनते ही शुरू हो जाती है जुगाड़ की सेटिंग…..
जैसे ही किसी मामले की जांच शुरू होती है कुछ जिम्मेदार लोगों की टीमों को जांच अधिकारी बनाया जाता है जांच अधिकारी के नियुक्त होते ही सेटिंग के जुगाड़ का एक नया सिलसिला जारी हो जाता है क्योंकि भ्रष्टाचार की शुरुआत विभागीय साठ घाट से होती है। लिहाजा जांच अधिकारियों के सेट हो जाने की संभावना ज्यादा होती है ऐसे में आरोपी पक्ष अपने पूर्व में किए गए लेन-देन या फिर नहीं पेशकश के जरिए संबंधित जांच अधिकारों को भ्रमित करने का भी प्रयास करता है वह कई बार विभाग के आल्हा अधिकारियों से आरोपी के पुराने संबंध होने के चलते भी जांच अधिकारी की कलम जकडऩ ने लगती है।
राजनीतिक पार्टियों के हस्ताक्षर से भी प्रभावित होती है जांच……
मामला जितना बड़ा होता है उसमें हस्तक्षेप करने वाले लोग उतने ही बड़े और रसूखदार माने जाते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार का यह खेल नीचे से लेकर ऊपर तक हर एक कड़ी को साधते हुए खेला जाता है। मान लिया जाए इसमें कई बड़े अधिकारी और रसूखदार राजनेताओं के भी शामिल होने की आशंका बनी रहती है। कई बार तो राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए होने के कारण अक्सर भ्रष्टाचारियों की जांच पूरी ही नहीं होती या फिर चमत्कारी ढंग से प्रभावित हो जाती है।
जनता से जुड़ा हर एक व्यक्ति जांच कमेटी में शामिल होना चाहिए……
विभागों में चल रहे भ्रष्टाचार और एक के बाद एक हो रहे हैं खुलासों को लेकर अब जनता खुलकर बोलने लगी है अगर प्रतिक्रियाओं पर गौर किया जाए तो जांच अधिकारी अपनी ही करतूत पर परदा डालने के लिए खुद के ही चयनित व्यक्तियों से जांच किए जाने का दिखावा करवाते है और हर मामले को जलेबी की तरह गोल-गोल घूमकर जनता को गुमराह किया जाता है भ्रष्टाचार की आग में इनका तो कुछ नहीं होता लेकिन इसके दुष्परिणाम जनता को ही झेलने पड़ते हैं किसी भी भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच कमेटी में जनता को भी शामिल किया जाए ताकि अंदरूनी सेटिंग और कई बजे की गुंजाइश पर लगाम लगाया जा सके इसके साथ ही यदि कोई जांच अधिकारी गलत पाया जाता है तो तत्काली बर्खास्त किया जाए।
समाचार लाईन जल्द हीे करेगा खुलासा….
विद्वुत वितरण कंपनी, नगर निगम, जिला अस्पताल , आबकारी विभाग सहित कई अन्य शासकीय विभागों में वर्षों से चल रहे जाचों (घोटालों) को लेकर समाचार लाइन द्वारा एक बड़ा खुलासा जल्द ही होने वाला है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन विभागों में अधिकारियों की मिलीभगत से कई मामलों में गहरी जांच चल रही है, जिससे यह सामने आ रहा है कि किस तरह भ्रष्टाचार की जड़ें अंदर तक फैली हुई हैं। योजनाओं के दुरुपयोग, बजट में हेराफेरी और नियमों की अनदेखी के जरिए जनहित की राशि को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया है। यह खुलासा न सिर्फ इन विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करेगा, बल्कि उन अधिकारियों की पोल भी खोलेगा जो वर्षों से कुर्सियों की आड़ में भ्रष्टाचार को हवा दे रहे हैं।

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