गुरू का क्रोध भी शिष्य के लिये वरदान होता है-यतिश कानूनगोजय हिन्द सखी मंडल की छात्राओं ने किया गुरू सम्मान

देवास। हमारा मस्तिष्क सदैव दो बातें सोचता है। एक सकारात्मक होती है और एक नकारात्मक । बहुधा मन नकारात्मकता की ओर झुकता है। गुरू ही हमें सकारात्मकता की पहचान कराते हैं। गुरू ही हमें सन्मार्ग दिखाते हैं। प्राचीन समय से एक कहावत चली आ रही है कि पानी पियो छानकर और गुुरू करो जानकर । एक बार यदि हमने अपना गुरू तय कर लिया तो फिर उनमें पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। शिष्य की उन्नति ही गुरू का लक्ष्य होता है। प्रत्येक गुरू यही चाहता है कि उनके विद्यार्थी कड़ी मेहनत करें और समाज में अपना एक उंचा स्थान बनाएं। शिष्य की सफलता ही गुरू की सफलता है। सनातन ग्रंथों में कहा गया है कि गुरू कृपा ही केवलम्। एक शिष्य का मंगल केवल गुरू कृपा ही कर सकती है। गुरू का क्रोध भी शिष्य के लिये वरदान होता है। हम इतिहास उठाकर देखें तो प्रत्येक योग्य व्यक्ति के साथ उनके गुरू का नाम अवश्य जुड़ा है। जय हिन्द सखी मंडल की छात्राओं ने गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के पूर्व प्रशिक्षक, उच्च कोटि के लेखक, व्यंगकार, कार्टूनिस्ट, कवि, हिन्दी व्याकरण मर्मज्ञ और गणित विषय के प्रशिक्षक वयोवृद्ध यतिश कानूनगो का उनके निवास पर जाकर सम्मान किया। अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में श्री कानूनगो ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरूओं का सम्मान सनातन परम्परा है। पर्यावरणविद रविन्द्र वर्मा की संकल्पना और लॉ स्कालर हर्षा महाजन के सहयोग से आयोजित सम्मान समारोह में तनुश्री विश्वकर्मा, लक्ष्मी बाली, स्नेहा ठाकुर, तनु चुलीवाल, शबाना शाह, अंजली ठाकुर, आर्या शर्मा और मानसी ठाकुर उपस्थित थीं।

