जय जोहार से गूंजा देवासभौंगर्या नृत्य ने शहरवासियों का मन मोहापच्चीस हजार की संख्या में उपस्थित होकर समाजजनो ने मनाया विश्व आदिवासी दिवस

देवास। जिला मुख्यालय पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आमु आखा एक छै, जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है, एक तीर एक कमान आदिवासी एक समान ,जल जंगल जमीन कुणीन छै आमरी छै आमरी छै इत्यादि नारो के साथ अलग अलग गांवो से पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा पहनकर हाथ मे सजी धजी रंगबिरंगी तीर कमान, महिलाएं आदिवासी नाटी पहने, हाथ मे फालिया , कमर पर गोफन बांधकर, सिर पर लाल साफा ,गले मे आदिवासी पीला गमझा डालकर, पानी की हल्की हल्की बौछारो के साथ मांदल की थाप तथा बांसुरी की धून पर आदिवासी लोकनृत्य करते हुए आदिवासी समाज का कुदरती प्राकृतिक रंग पीला झंडा और देश की आन बान शान तिरंगा हाथ में लेकर हजारों की संख्या में आदिवासी समाजजन सिरवेल में इकठ्ठा हुए।यह रैली आमसभा में परिवर्तित हुई। सर्वप्रथम समाज के बुजुर्ग डहालो द्वारा ज्वार, नीम के पत्ते , पानी, हल्दी से प्राकृतिक पूजा अर्चना कर माँ प्रकृति तथा पुरखो को आमंत्रित किया गया। तत्पश्चात सामाजिक व वैचारिक आमसभा का आयोजन किया गया । आमसभा को कई बौद्धिक वक्ताओं ने अपना उद्बोधन दिया। उद्बोधन मे जल जंगल जमीन ,बोली भाषा ,संस्कृति ,रिती रिवाज ,संवैधानिक अधिकार, शिक्षा स्वास्थ्य , स्वरोजगार, पारंपरिक रूढिघ्वादी ग्राम सभा, अनुसूचित क्षेत्र , धर्मांतरण , जनगणना, बेरोजगारी, पलायन, समाज के लिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका आदि विषयों पर निर्भीक निडर और खुलकर वक्तव्य दिया गया। विदित है कि मानव अधिकारो की रक्षा के लिए काम करने वाले संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में 23 दिसंबर 1994 को पारित प्रस्ताव क्रमांक 46/214 के तहत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस अर्थात वर्ल्ड इंडीजनस पीपुल्स डे घोषित किया गया था। इसके बाद पुरे विश्व मे विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाने लगा । विश्व आदिवासी दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि आदिवासी समाज के मान्य अधिकारों का संरक्षण हो उनके जल जंगल जमीन और खनिज संपदा के अधिकार सुरक्षित रहें तथा अस्मिता आत्मसम्मान कला संस्कृति अस्तित्व व इतिहास कायम रहे एवं शिक्षा आदि का प्रचार प्रसार हो। संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश भारत भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व में 47.6 करोड़ से अधिक आदिवासी लोग रहते हैं, जो 90 देशों में रहते हैं 5 हजार विभिन्न संस्कृतियो का प्रतिनिधित्व करते हैं ,विश्व की 7 हजार भाषाओं में से अधिकतम भाषाएं बोलते हैं।आमसभा को संबोधित करते हुए ने राकेश देवडे बिरसावादी ने पारंपरिक संस्कृति सभ्यता व रीति रिवाज को बचाने का आह्वान किया।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क मे निहित पारंपरिक रूढि़वादी ग्राम सभा जिसको विधि का बल प्राप्त है। इसलिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने वेदांता बनाम उड़ीसा वर्ष 2013 के एक विशिष्ट फैसले में यह कहा कि ना लोकसभा ना विधानसभा सबसे ऊंची ग्राम सभा। हमें ग्राम सभा को मजबूत बनाना होगा। भानु उईके ने कहा विश्व के आदिवासी एक हो। नशा समाज को खोखला कर रहा है नशामुक्ति हेतु कदम उठाना होगा। प्रकृति पूजक समाज का षडयंत्रपूर्वक किये जा रहे धर्मांतरण के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान किया गया। भारत में कई हजार वर्षों से जल जंगल जमीन के अधिकारों का संघर्ष चल रहा है वास्तविकता में यह सांस्कृतिक संघर्ष है जिसे तथाकथित मानव निर्मित संगठनों द्वारा अडि़यल रवैया अपनाकर दबाने का हर संभव प्रयास किया जाता रहा है आदिवासियों को वानर असुर राक्षस भूत पिशाच जंगली दस्यु क्रिमिनल ट्राइब वनवासी नक्सलवादी इत्यादि संज्ञा देकर उन्हें मारने का, उनका एनकाउंटर किया जा रहा है। भारत की आजादी के लिए 70ः लड़ाइयां आदिवासियों ने लड़ी है । गोविंद इवने ने कहा आदिवासियों के मसीहा जयपाल मुंडा ने संविधान निर्माण सभा में दिसंबर 1948 को कहा था-मैं संविधान से आदिवासी शब्द हटाया जाने का सख्त विरोध करता हूं । आप लोग आदिवासियों को लोकतंत्र नहीं सिखा सकते बल्कि समानता और सह अस्तित्व उनसे ही सीखना होगा। टंट्या भील ने 35 साल तक हथियारबंद लड़ाई लड़ी थी, उनकी खास बात थी अच्छाई सच्चाई और भलाई।भगवान बिरसा मुंडा का उद्धरण देते हुए कहा-शिक्षा प्राणी से मानव बनाने की मशीन है, भले ही एक रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढाओ। आदमी आर्थिक रुप से गरीब रहेगा चलेगा विचारों से गरीब नहीं होना चाहिए। प्रितम बामनिया ने कहा धीरे-धीरे समाज जागरूक हो रहा है, समाज के अधिकारी कर्मचारी समाज के जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी जरूर कर रहे हैं लेकिन समाज की संस्कृति सभ्यता रीति रिवाज भाषा को बचाने के लिए आगे नही आते।रामदास उईके ने कहा महिलाओं पर हो रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ सभी समाजनो को एकजुट होकर लड़ना पड़ेगा। आमसभा के बीच बीच बिच डंडा नृत्य,शैला नृत्य, शहनाई सांस्कृतिक लोकनृत्य ने आकर्षित किया।रैली में पौधे भी वितरित किए गये। इस अवसर पर मोहनलाल रावत, रामदास उईके, मगनसिंह भंवरा, ललित आहके, सतिश उईके, ओमप्रकाश मालीवाड, नितिन बघेल, कपिल इवने, रामदेव सल्लाम, आशीष उईके, संदीप ठाकुर, मुकेश कुमरे, सोनिका सोलंकी, शारदा देवडे, नम्रता मरावी, ममता ईवने, ईशा ठाकुर, नीलम उईके, मालती आहके, ममता कवडेती इत्यादि सहित जयस, अकास ,बिरसा ब्रिगेड, आदिवासी एकता परिषद, आदिवासी छात्र संगठन, आदिवासी मुक्ति मोर्चा सर्व आदिवासी समाज के सगाजन उपस्थित थे।संचालन राकेश देवडे, बिरसावादी द्वारा किया गया। आभार लाखन सिंह पर्ते ने व्यक्त किया।
