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जहां संत महात्माओं का निवास होता है, वह स्थान पावन हो जाता है-सुरेशानंद जी तीर्थ

देवास। जहां संत महात्माओं का निवास होता है वह स्थान अपने आप पावन हो जाता है। क्योंकि ऐसे स्थान पर संतों की दया दृष्टि और उनकी तपस्या  का प्रभाव जरूर पड़ता है। ऐसा स्थान सुख शांति व आनंद का धाम बन जाता है। स्वामी विष्णु तीर्थ जी महाराज, शिवोम तीर्थ जी महाराज जैसे संतों की तपोस्थली नारायण कुटी सन्यास आश्रम पर उनके पावन सानिध्य व प्रभाव की अनुभूति होती है। मां चामुंडा की पहाड़ी पर संत महात्मा, योगी, शीलनाथ महाराज जैसे कई साधकों ने तपस्या की व सिद्धियां प्राप्त कर धर्म व आध्यात्मिक की गंगा बहाई है। यह विचार स्वामी सुरेशानंद जी तीर्थ ने गंगा दशमी पर मां चामुंडा सेवा समिति द्वारा समाजसेवी रामेश्वर जलोदिया के नेतृत्व में एवं नारायण व्यास, नरेंद्र मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में नारायण कुटी सन्यास आश्रम पर आयोजित संत महात्माओं के सम्मान अवसर पर व्यक्त किए। समिति द्वारा स्वामी सुरेशानंद जी तीर्थ उदासीन मठ के स्वामी पूर्णानंद जी महाराज, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी का शाल, श्रीफल, पुष्पमालाओं से आत्मीय  सम्मान किया गया।। इस अवसर पर मां चामुंडा सेवा समिति के समाजसेवी नरेंद्र मिश्रा, रामेश्वर जलोदिया, नारायण व्यास, उम्मेदसिंह राठौड़, दिनेश सांवलिया, अभिषेक अवस्थी, मुकेश तिवारी, भास्कर सरमंडल, प्रेम पवार, राधेश्याम बोडाना, मातृशक्ति प्रेमलता चौहान,, दुर्गा व्यास, मंजू जलोदिया, हेमा वर्मा आदि उपस्थित थे।

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