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मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना को लेकर विभागीय लापरवाही उजागरप्रचार-प्रसार के अभाव में वंचित हो रहे बेसहारा बच्चे

अमित बागलीकर
देवास।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री बाल सेवा (आशीर्वाद) योजना, जो उन बच्चों के लिए एक संजीवनी समान है जिन्होंने माता-पिता दोनों को खो दिया है, आज महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही के कारण केवल कागज़ों में सिमट कर रह गई है। देवास जिले में इस योजना के अंतर्गत मात्र गीने चुने बच्चों को लाभ दिया गया, जबकि जिले में पात्र बच्चों की संख्या कहीं अधिक है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत ऐसे बच्चे, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है और जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है, उन्हें प्रतिमाह 4000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता अधिकतम दो बच्चों को प्रति परिवार दी जा सकती है, जिससे बच्चों की पढ़ाई, पोषण और भविष्य की नींव मजबूत हो सके।
लेकिन धरातल पर क्या है सच्चाई….?
महिला एवं बाल विकास विभाग की असंवेदनशीलता और उदासीन रवैये के चलते आज भी अनेक पात्र बच्चे इस योजना से अछूते हैं। विभाग ने न तो ग्राम स्तर पर, न स्कूलों में और न ही मीडिया या सोशल प्लेटफॉर्म पर इस योजना का सही ढंग से कोई प्रचार-प्रसार किया। परिणामस्वरूप, कई बच्चों के परिवार इस योजना की जानकारी से ही अनभिज्ञ हैं। इसके साथ हवभागीय सूत्र की जानकारी के अनुसार जागरूक विभाग केवल आंकड़े गिनवाने में व्यस्त है, जबकि ज़मीनी हकीकत ये है कि ज़रूरतमंद बच्चे योजना से वंचित हैं। यदि विभाग समय रहते प्रचार करता, तो आज जिले में सैकड़ों बच्चों को इसका लाभ मिल रहा होता।
योजनाओं का फायदा आमजन तक न पहुँचना क्या विभागीय विफलता नहीं…?
सरकार की मंशा भले ही नेक हो, लेकिन जब प्रशासनिक अमला ही उस मंशा को जमीन पर उतारने में नाकाम साबित हो, तो योजना का उद्देश्य स्वत: ही विफल हो जाता है। देवास जिले में योजना की पात्रता रखने वाले दर्जनों बच्चों को अभी तक कोई सूचना या मार्गदर्शन तक नहीं मिला। जबकि योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेजों की सूची भी निर्धारित की गई है, जैसे कि बच्चा एवं मां का संयुक्त बैंक खाता, राशन कार्ड, मां और बच्चे का आधार कार्ड, स्कूल आईडी कार्ड या प्रधानाचार्य से प्रमाणित पत्र, पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज जमा करने होगें।
लेकिन जब योजना की जानकारी ही नहीं होगी, तो लोग दस्तावेज़ कहां से और कैसे लाएंगे..?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब देश और राज्य सरकारें बाल कल्याण के लिए करोड़ों खर्च कर रही हैं, तब जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण योजनाएं कागज़ों में दफन होती जा रही हैं। देवास जिले का यह मामला एक ज्वलंत उदाहरण है कि प्रचार-प्रसार के बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती।
हर वार्ड, पंचायत और स्कूल में हो योजना का प्रचार
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि महिला एवं बाल विकास विभाग को जल्द से जल्द गांव, वार्ड, पंचायत, स्कूल और आंगनवाड़ी स्तर पर प्रचार अभियान चलाना चाहिए। साथ ही, जनप्रतिनिधियों को भी इस दिशा में कदम उठाने की ज़रूरत है। इसके साथ ही यदि आपके आसपास कोई ऐसा बच्चा है जो इस योजना का पात्र है, तो निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ नजदीकी महिला बाल विकास कार्यालय में संपर्क करें ताकि उन्हें इसका लाभ दिलाया जा सके। सरकार की नीयत अच्छी हो सकती है, लेकिन जब विभागीय अमला ही सुस्त हो जाए तो योजनाएं सिर्फ योजनाएं बनकर रह जाती हैं। मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के प्रचार के लिए अब मीडिया, समाज और आमजन को आगे आना होगा — ताकि हर जरूरतमंद बच्चे तक यह मदद पहुँच सके।

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