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डॉ. कलाम विद्या ददाति विनयम् के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थेचिमनाबाई स्कूल में मनाई पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम की जयंती

देवास। भारतीय सनातन परम्परा सदैव से सादा जीवन उच्च विचार की पोषक रही है। समय समय पर कुछ महापुरूष जन्म लेकर इस परम्परा को पुनः जीवन्तता प्रदान कर जाते हैं जिसका तत्कालीन समाज पर व्यापक प्रभाव होता है। डॉ. ए.पी.जे. कलाम इसी श्रेणी के महापुरूष थे। निर्धन परिवार में जन्में डॉ. कलाम श्रम देवता के अद्वितीय आराधक थे। संघर्षो ने डॉ. कलाम को कभी अकेला नहीं छोड़ा। संस्कारों ने डॉ. कलाम को मान, सम्मान पद और उपलब्धियों के अहंकार से सदैव सुरक्षित रखा। डॉ. कलाम विद्या ददाति विनयम् के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थे। यह श्लोकांश विष्णुपुराण से लिया गया था। महान वैज्ञानिक डॉ. कलाम विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। महारानी चिमनाबाई शा.क.उ.मा.वि. देवास में डॉ. कलाम की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य रूचि व्यास ने उक्त विचार व्यक्त करतेे हुए कहा कि निरंतर मेहनत से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। आदिल पठान ने कहा कि संसार में ऐसा कोई कारण नहीं है जो हमारा मार्ग अवरूद्ध कर सके।

परिस्थितियां कितनी भी विपरित हों हमें हिम्मत नहीं हारना चाहिए। डॉ. कलाम का जीवन और उनके कार्य हमें यही प्रेरणा देते हैं। संजय जोशी ने कहा कि डॉ. कलाम कहते थे कि सपने वही देखो जो हमारी नींद उड़ा दे। भारत के मिसाइल कार्यक्रम को डॉ. कलाम ने न केवल गति प्रदान की बल्कि उसे मंजिल तक भी पहुंचाया। आज मिसाइलों के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। भारत का मिसाइल कार्यक्रम अग्नि से प्रारंभ होकर ब्रह्मोस तक पहुंच चुुका है। डॉ. कलाम ने अटल जी के साथ मिलकर पोखरण में जो परीक्षण किया उसका ही परिणाम है कि आज भारत सामरिक रूप से एक मजबूत देश बन गया है। वृंदा शर्मा ने कहा कि डॉ. कलाम सच्चे अर्थ में एक भारतीय थे। उन्होंने भारतीय सनातन ज्ञान का गहरा अध्ययन किया था। देश के महामहिम के रूप में आपने सादगी और त्याग की मिसाल कायम की थी। कार्यक्रम में दीपक यादव, अनिल पंडित, नफीसा शेख, एकता श्रीवास्तव, किरण खींची, ममता कुशवाह, बीएल भाट और चंद्रप्रतापसिंह चावड़ा सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं। संचालन तनुश्री विश्वकर्मा ने किया तथा आभार शिक्षक हितेन्द्र यादव ने माना। संयोजक प्रसून पंड्या थे।

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