दलितों को धर्मांतरण की धमकी, शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा; ग्राम पंथमुंडला के ग्रामीणों का हंगामा, प्रशासन से की कार्रवाई की मांग, समाज ने निकाली रैली, कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन

देवास। देवास जिले की विजयागंज मंडी तहसील के ग्राम पंथमुंडला में इन दिनों हालात बिगड़ते जा रहे हैं। गांव के दलित हिंदू परिवारों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन किया। आरोप है कि गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ कट्टरपंथी लोगों द्वारा शासकीय और सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इतना ही नहीं, दलित समाज के लोगों को डराया, धमकाया जा रहा है और जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है, जिससे परेशान होकर कई परिवार गांव छोडऩे को मजबूर हो गए हैं। इस गंभीर मामले को लेकर शुक्रवार को अखिल भारतीय बलाई महासंघ के बैनर तले बड़ी संख्या में समाजजन एकत्रित हुए और रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने जिला प्रशासन को चेताते हुए जमकर नारेबाजी की और कलेक्टर ऋतुराज सिंह से मिलकर ज्ञापन सौंपा।
कलेक्टर से मिलकर जताई पीड़ा
समाज के लोगों ने सीधे कलेक्टर कार्यालय के भीतर पहुंचकर मुलाकात की और मामले की पूरी जानकारी दी। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार ने बताया कि पंथमुंडला गांव की शासकीय गोचर भूमि, श्मशान भूमि और सार्वजनिक बोरिंग-कुएं पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। जब ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो उन्हें गाली-गलौज कर डराया जाता है, यहां तक कि जान से मारने की धमकियां भी दी जाती हैं। कुछ मामलों में धर्मांतरण के लिए भी दबाव बनाया जा रहा है।
दलितों को पलायन पर मजबूर किया जा रहा- मनोज परमार
अखिल भारतीय बलाई समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज परमार ने कहा कि गांव में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। दलित परिवार अपने ही घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। यदि समय रहते प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो गांव से कई और परिवारों को पलायन करना पड़ सकता है।
ज्ञापन में ग्रामीणों द्वारा रखी गईं ये प्रमुख मांगें
1. शासकीय व सार्वजनिक भूमि पर से अवैध कब्जे हटाए जाएं।
2. धर्मांतरण की कोशिश करने वालों और धमकी देने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो।
3. पीडि़त परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाए।
4. दलित समाज की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
5. शासन की योजनाओं का लाभ दलित समुदाय तक पहुंचाया जाए।
6. मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी, बिजली, नाली की व्यवस्था कराई जाए।
7. गांव में प्रशासनिक निगरानी बढ़ाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
ग्रामीण बोले प्रशासन कर रहा अनदेखी
गांव से आए लोगों ने बताया कि वे कई बार स्थानीय प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कई घरों पर मकान बिकाऊ है के पोस्टर लगाए जा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो उनका गांव खाली हो जाएगा।
कलेक्टर का आश्वासन टीम भेजकर कराएंगे जांच
इस मामले में कलेक्टर ऋ तुराज सिंह ने प्रदर्शनकारियों से चर्चा करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही एक टीम गांव भेजी जाएगी, जो पूरे घटनाक्रम की जांच करेगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा, प्रशासन की अग्निपरीक्षा
गांव पंथमुंडला का मामला अब केवल स्थानीय विवाद तक सीमित नहीं रहा। यह मामला साम्प्रदायिक तनाव की ओर इशारा करता है, जहां एक ओर सार्वजनिक और शासकीय भूमि पर कब्जे की शिकायत है, वहीं दूसरी ओर दलितों के धार्मिक विश्वास को जबरन बदलने के प्रयास का आरोप भी है। ऐसी स्थिति में प्रशासन के लिए यह अग्निपरीक्षा से कम नहीं है कि वह त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई कर गांव में पुन: शांति और विश्वास बहाल कर सके।
समाज का आह्वान संविधान की रक्षा हो
प्रदर्शन कर रहे दलित समाज के नेताओं ने सरकार से मांग की कि संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण पालन हो, और जो लोग इन मूल्यों को चुनौती दे रहे हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाए। वही प्रशासन ने जांच की बात कहकर मामले को शांत करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश यह बता रहा है कि समस्या जड़ तक पहुंच चुकी है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला और अधिक गंभीर रूप ले सकता है।


