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दिया तले अंधेरा: देवास में स्वच्छता के दावों की खुली पोल, शहर बदबू और कचरे के ढेर से बेहाल

देवास। एक ओर नगर निगम स्वच्छता को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है, वहीं दूसरी ओर शहर की सडक़ों, सार्वजनिक स्थलों और धार्मिक स्थलों पर फैली गंदगी और दुर्गंध से लोगों का जीना दूभर हो गया है। स्वच्छता के नाम पर योजनाएँ और प्रचार-प्रसार खूब किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। शहर का हाल देख यही कहा जा सकता है जब दिया तले अंधेरा है तो बाकी शहर की हालत क्या होगी…?
शहर के प्रमुख धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर फैली गंदगी प्रशासनिक उदासीनता की पोल खोल रही है। ईदगाह मस्जिद, भोलेनाथ मंदिर, बस स्टैंड, नयापुरा सहित अनेक स्थानों पर कचरे के ढेर आम हो गए हैं। न सिर्फ राहगीरों को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि इन स्थलों पर आने जाने वाले लोग भी नगर निगम प्रशासन की लापरवाही पर नाराज़ हैं।


मंडूक पुष्कर तालाब बना गंदगी का केन्द्र
शहर के मध्य स्थित ऐतिहासिक मंडूक पुष्कर तालाब की हालत चिंताजनक बनी हुई है। तालाब के किनारों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं और पानी की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि उसमें रहने वाली मछलियों की लगातार मौत हो रही है। स्थानीय नागरिकों के अनुसार, तालाब के आसपास गंदगी और दुर्गंध इतनी फैल चुकी है कि वहां रुकना तक मुश्किल हो गया है। यह स्थिति केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि विकास प्राधिकरण और नगर निगम की साफ-सफाई के दावों की विफलता का स्पष्ट उदाहरण है।
सरकारी दफ्तरों के सामने भी गंदगी स्वच्छता पर सवाल
गौर करने वाली बात यह है कि गंदगी सिर्फ आम मोहल्लों या बाहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि विद्युत वितरण कंपनी का कार्यालय और भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों के आसपास भी सफाई की हालत बेहद खराब है। इन क्षेत्रों में आने-जाने वाले नागरिकों को भी बदबू से गुजरना पड़ता है, जो प्राधिकरण और नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।
निगम और प्राधिकरण के बीच तालमेल की कमी
शहरवासियों का कहना है कि नगर निगम और विकास प्राधिकरण के बीच कोई स्पष्ट तालमेल नहीं दिखता। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की प्रवृत्ति के चलते सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। नागरिकों का यह भी आरोप है कि अभियान केवल दिखावे तक सीमित हैं और इनका असर ज़मीनी स्तर पर नहीं दिखता।


स्थानीय नागरिकों में रोष
शुक्रवारीया हाट सिथत दुकानदार सहित स्थानीय निवासीयों का कहना है, हमने कई बार निगम को शिकायत की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला। न तो नियमित सफाई होती है और न ही कचरा समय पर उठाया जाता है। तालाब की स्थिति से ना तो जनप्रतिनिधी बोलते है और ना ही निगम के जावबदार। इसी तरह मुस्लिम समाज के रहीम खान कहते हैं, ईदगाह मस्जिद के आस पास कई दिनों से कचरे का ढेर पड़ा रहता है। और आस पास की गलियों में मल मूत्र भी भरा रहता है। वही दूसरी और निगम प्रशासन ने सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया।

क्या केवल रेटिंग के लिए चल रहे हैं स्वच्छता अभियान….?
हर वर्ष नगर निगम द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने की कोशिशें की जाती हैं। लेकिन ये प्रयास केवल कैमरों के सामने साफ-सफाई दिखाकर अंक बटोरने तक सीमित रहते है। आम जनता का जीवन इन प्रयासों से प्रभावित नहीं हो रहा, उल्टे वे बदबू, मच्छरों और बीमारियों के खतरे के साथ जीने को मजबूर हैं। देवास नगर निगम की लापरवाही अब शहरवासियों की सहनशक्ति से बाहर होती जा रही है। कचरे के ढेर और दुर्गंध न केवल नागरिकों की असुविधा बढ़ा रहे हैं, बल्कि शहर की छवि और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ज़रूरत इस बात की है कि प्रशासन केवल दिखावे के बजाय ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करे और स्वच्छता के नाम पर किए जा रहे खर्च का वास्तविक लाभ नागरिकों तक पहुँचाया जाए।

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