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देवास मल्हार धूनी में संत श्री संतोषनाथ जी महाराज द्वारा 41 दिवसीय पंचधूनी अग्नि तपस्या आरंभआध्यात्मिक ऊर्जा से अनुप्राणित हो रहा मल्हार क्षेत्र, श्रद्धालुओं में उमंग और आस्था का संचार

देवास। पुण्यभूमि देवास एक बार फिर तप और साधना की दिव्य आभा से आलोकित हो उठी है। नाथ सम्प्रदाय का 800 वर्ष पुराना अति प्राचीन मठ हरियाणा के हिसार जिले के सुल्तानपुर गांव में स्थित है, जो श्री इलायची नाथ जी महाराज का है। श्रीमंत सद्गुरू योगेंद्र श्री शीलनाथ जी महाराज का गुरु स्थान भी यहीं है, जहां से गुरू महाराज ने दिक्षा ग्रहण की थी। श्री शिलानाथ धूनी, मल्हार क्षेत्र में 10 मई 2025 से 21 जून 2025 तक 41 दिवसीय पंचधूनी अग्नि तपस्या पर्व का आयोजन हो रहा है। इस दुर्लभ और कठिन साधना का नेतृत्व कर रहे हैं हरियाणा सुल्तानपुर डेरा के गाधीपति  महंत बालयोगी संत श्री संतोषनाथ जी महाराज, जिन्हें श्रद्धालु “गुरु महाराज” के नाम से जानते हैं। इस तपस्या का आयोजन प्रतिदिन प्रात: 11:15 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक किया जा रहा है, जिसमें महंत बालयोगी संतोषनाथ जी महाराज पंचधूनी की अग्नि के बीच बैठकर तप करते हैं। यह तपस्वी साधना न केवल शरीर की परिक्षा है, बल्कि आत्मा की ऊर्ध्वगति और विश्व कल्याण के लिए समर्पित एक महान प्रयास भी है।
21वीं पंचधूनी तपस्या: एक अनवरत तपयात्रा का प्रतीक
गौरतलब है कि यह महंत बालयोगी संतोषनाथ जी की 21वीं पंचधूनी तपस्या है, जो विशेष रूप से देवास की इस पवित्र मल्हार धूनी पर संपन्न हो रही है। पिछले 28 वर्षों से वे गृहस्थ जीवन और भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर पूर्णत: साधना, सेवा और तप में लीन हैं। उनका यह जीवन समाज के लिए प्रेरणा है, और उनकी तपस्या मानव कल्याण, विश्व शांति और लोकमंगल की भावना से ओतप्रोत है।
श्री शिलानाथ धूनी: संत परंपरा की अमिट छवि
देवास के मल्हार क्षेत्र में स्थित श्री शिलानाथ धूनी वैसे भी संत परंपरा का महत्वपूर्ण केंद्र रही है। यहां श्री श्रीनाथ धूनी महाराज की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद ने इस स्थान को दिव्यता और सिद्धपीठ का दर्जा प्रदान किया है। इसी पवित्र भूमि पर अब महंत बालयोगी संतोषनाथ जी जैसे तपस्वी की उपस्थिति ने एक बार फिर देवास को आध्यात्मिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
श्रद्धालुओं का उमड़ता सैलाब
तपस्या पर्व के चलते प्रतिदिन यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन और सत्संग के लिए आ रहे हैं। पंचधूनी की दिव्य अग्नि के समक्ष महंत बालयोगी संतोषनाथ जी की मौन साधना श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देती है। कई लोग इस आयोजन को अपनी आंखों से देखकर स्वयं को धन्य मान रहे हैं।
देवास को साधना का सौभाग्य
देवास जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि ऐसी कठिन और दिव्य साधना उसकी भूमि पर संपन्न हो रही है। स्थानीय नागरिकों, साधु-संतों और संत समाज द्वारा इस आयोजन में सहयोग दिया जा रहा है, और नगर प्रशासन द्वारा भी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।

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