देवास में उमड़ा श्रद्धा और भक्ति का सैलाबइस्कॉन केंद्र बना आध्यात्मिक ऊर्जा का तीर्थ, हर रविवार गूंजता है हरे रामा, हरे कृष्णा

देवास। शहर की शामलात रोड स्थित महेश्वरी भवन में स्थापित इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) केंद्र इन दिनों देवास के श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, शांति और आत्मिक उन्नति का सजीव संगम बन चुका है। हर रविवार को यहाँ होने वाले विशेष संध्या आयोजन में भक्ति की ऐसी बयार बहती है, जो न केवल कानों को मंत्रमुग्ध करती है, बल्कि आत्मा को भी भीतर तक स्पंदित कर जाती है।


इस रविवार भी केंद्र में श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ पड़ा।
सैकड़ों की संख्या में नर-नारी, वृद्ध-युवा और बालक-बालिकाएं प्रभु श्रीकृष्ण की भक्ति में ऐसे लीन हुए कि संपूर्ण वातावरण श्रीहरि नाम के संकीर्तन से गूंज उठा —हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे… इस्कॉन देवास के प्रमुख आनंदमय प्रभु जी ने बताया कि शाम 5 बजे से रात्रि 8 बजे तक चले इस भक्ति संध्या में भगवान श्रीकृष्ण की श्रीमद्भागवत कथा, संकीर्तन, दीप आरती और महाप्रसाद का अनुपम संगम देखने को मिला। प्रभु जी ने कहा, यह केवल एक साप्ताहिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोडऩे की एक सतत साधना है, जो जीवन के हर पहलू को आलोकित करती है।
कथा में हुआ श्रीकृष्ण की लीलाओं का अद्भुत वर्णन
कथा वाचन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, गीता उपदेश और रासलीला का ऐसा जीवंत चित्रण हुआ कि श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। कथा के उपरांत सामूहिक संकीर्तन में पूरा पांडाल हरि नाम की गूंज से झूम उठा। भक्तगण ढोल, मृदंग और मंजीरों के संग हरे कृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए आनंद के सागर में गोते लगाते रहे।
आरती और महाप्रसाद — भक्ति का चरमोत्कर्ष
दीपों की ज्योति और घंटियों की ध्वनि के साथ हुई आरती ने वातावरण को पूर्णत: पावन बना दिया। प्रभु श्रीकृष्ण की आरती में जब दीपों की लौ लहराई, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं वैकुंठ से देवता उतरकर इस पावन उत्सव में सहभागी हो रहे हों। आयोजन के अंत में श्रद्धालुओं को प्रभु का महाप्रसाद वितरित किया गया, जिसे सभी ने श्रद्धा व विनम्रता से स्वीकार किया।
नगर के आध्यात्मिक परिदृश्य में बना नई चेतना का केंद्र
इस्कॉन देवास केंद्र अब सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि नगरवासियों के लिए एक जीवंत आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र बन चुका है, जहाँ हर रविवार को भक्तों को प्रभु साक्षात्कार की अनुभूति होती है। यहाँ आने वाला प्रत्येक व्यक्ति जीवन की आपाधापी में भक्ति, सादगी और शांति की राह खोजता है और उसे पाकर लौटता है।
सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध
आयोजकों ने नगरवासियों से आग्रह किया है कि वे अपने परिवार, बच्चों और मित्रों सहित इस आयोजन में नियमित रूप से भाग लें, जिससे समाज में भक्ति, सेवा और सांस्कृतिक चेतना का प्रसार हो।
