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देवास में “देववासिनी” नाम को लेकर विवाद: नागरिकों ने जताई आपत्ति, धार्मिक और ऐतिहासिक भावनाएं हुईं आहत

अमित बागलीकर
देवास।
ध्यप्रदेश के देवास शहर में हाल ही में एक फूड प्रोडक्ट पर छपे नाम “देववासिनी” को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय नागरिकों ने इस नाम के उपयोग को आपत्तिजनक बताते हुए कंपनी के खिलाफ शिकायत करने की बात कही है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब शहर के रहने वाले मनोज गर्ग नामक एक व्यक्ति ने बाजार से छाछ का पैक खरीदते समय उस पर देववासिनी लिखा देखा और इसे धार्मिक व सांस्कृतिक रूप से अनुचित बताया।
प्राचीन नाम से जुड़ी भावनाएं
देवास नगर का नाम ऐतिहासिक रूप से देव-वासिनी से निकला है, जिसका शाब्दिक अर्थ है देवताओं का वास। यह नाम शहर की धार्मिक पहचान और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक रहा है। मां चामुंडा व टेकरी पर विराजमान देवी के कारण यह नगर विशेष रूप से देवी उपासना का केंद्र माना जाता है। पुराने दस्तावेजों, लोककथाओं और ऐतिहासिक ग्रंथों में भी देवास को “देव वासिनी” के नाम से जाना गया है। ऐसे में स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस पवित्र और श्रद्धेय नाम का प्रयोग व्यावसायिक उत्पादों पर करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है।
मनोज गर्ग ने जताई आपत्ति
मनोज गर्ग, जो पेशे से व्यापारी हैं और लंबे समय से देवास में रह रहे हैं, ने बताया कि वे उज्जैन रोड स्थित एक सामान्य होटल से छाछ खरीदने गए थे। उन्होंने देखा कि पैकेट पर देववासिनी नाम छपा हुआ है। इस पर उन्हें आपत्ति हुई और उन्होंने तुरंत ही इस पर प्रतिक्रिया दी। मनोज गर्ग ने कहा, देव-वासिनी नाम हमारी धार्मिक पहचान से जुड़ा है। इसे किसी खाद्य उत्पाद पर लिखना हमारी आस्था का अपमान है। यह सिर्फ नाम का मामला नहीं है, बल्कि भावनाओं का विषय है।” उन्होंने बताया कि वे संबंधित कंपनी के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं और इस तरह के नामों पर तुरंत रोक लगाने की मांग करेंगे।
नागरिकों का गुस्सा और सोशल मीडिया पर बहस
यह मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है। कई नागरिकों ने इस नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धार्मिक नामों को व्यापारिक लाभ के लिए उपयोग करना बंद किया जाना चाहिए। कुछ लोगों ने लिखा कि यह नाम न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि देवास की ऐतिहासिक पहचान भी है, जिसे इस तरह से सामान्यीकृत करना गलत है। कब तक हमारी भावनाओं से खेला जाएगा?”
प्रशासन क्या करेगा….?
इस मामले के तूल पकडऩे के बाद अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन पर हैं। क्या प्रशासन इस नाम के उपयोग पर रोक लगाएगा क्या कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ होंगे।

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