देवास में भाजपा की कार्यकारिणी गठन को लेकर गहराया सियासी सन्नाटाजिलाअध्यक्ष सेंधव की चुप्पी पर उठे सवाल….

अमित बागलीकर
देवास। देवास जिले की भारतीय जनता पार्टी इन दिनों एक अजीब सी राजनीतिक निष्क्रियता के दौर से गुजर रही है। पार्टी के जिला अध्यक्ष रायसिंह सेंधव को पदभार संभाले छह माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक वे अपनी जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं कर सके हैं। पार्टी के अंदरूनी गलियारों में इसे लेकर अब असंतोष और सवाल दोनों ही गहराने लगे हैं। वही पिछले दिनों नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ने जब संगठनात्मक सक्रियता की सर्वाधिक आवश्यकता है की बात कही थी तो ऐसे में भाजपा की जिला इकाई बिना पूर्ण संरचना के कैसे सशक्त और प्रभावी भूमिका निभा पाएगी, यह बड़ा सवाल बनता जा रहा है।
परंपरागत रूप से जिला अध्यक्ष को तीन महामंत्री, छह मंत्री, छह उपाध्यक्ष, एक प्रवक्ता, एक आईटी सेल प्रमुख और एक कार्यालय मंत्री नियुक्त करने होते हैं, जिससे जिला संगठन की संरचना पूरी होती है। यह न केवल संगठन की धार को मजबूत करता है, बल्कि आगामी समय में भाजपा की रणनीतियों के क्रियान्वयन के लिए भी आवश्यक माना जाता है। हालांकि इस दिशा में कोई आधिकारिक बयान या स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है कि आखिर कार्यकारिणी गठन में देरी क्यों हो रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या यह संगठनात्मक अनिर्णय किसी बड़े सियासी संकेत की ओर इशारा कर रहा है….?
पार्टी कार्यकर्ता असमंजस में
सूत्रों के अनुसार जिले भर के भाजपा कार्यकर्ताओं में अब बेचैनी का माहौल बनने लगा है। कई मंडलों से आवाज़ें उठ रही हैं कि संगठन के नेतृत्व में स्पष्टता और दिशा के अभाव में जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ ढीली पड़ सकती है। ऐसे में विपक्ष को बैठे-बिठाए राजनीतिक बढ़त मिलना तय माना जा रहा है।
राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज
भाजपा के ही कई वरिष्ठ नेता और पूर्व पदाधिकारी बंद कमरों में रायसिंह सेंधव की निष्क्रियता को लेकर चिंता जता चुके हैं। वहीं विपक्षी खेमे को भी अब भाजपा की आंतरिक सुस्ती पर चुटकी लेने का मौका मिल गया है।
एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा
जब खुद जिला अध्यक्ष ही निर्णय नहीं ले पा रहे, तो कार्यकर्ताओं में नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति स्वाभाविक है। भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहना नुकसानदायक हो सकती है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जिला अध्यक्ष रायसिंह सेंधव आखिर कब अपनी कार्यकारिणी की घोषणा करेंगे और संगठन को सक्रिय गति प्रदान करेंगे। या फिर यह सियासी खामोशी किसी और बड़े बदलाव की पूर्व भूमिका है…?

