नगर निगम के खटारा वाहनों पर परिवहन विभाग और यातायात पुलिस अत्याधिक मेहरबान

अमित बागलीकर
देवास। परिवहन मंत्रालय के आदेशों की धज्जियां नगर निगम तो उड़ा ही रहा है वही हाई कोर्ट के निर्देशों का भी पालन भी नहीं कर रहा है जबकि कानून का पालन सबको करना होता है। इसका उदाहरण देखने हो तो शहर के किसी भी चौराहे पर खड़े होकर देखा जा सकता है जहां कचरा वाहन के साथ पुराने पानी के टैंकर पानी भरकर शहर भर में दौड़ रहे है। इन खटारा टैंकरो के ऊपर शायद ही यातायात की नजर पड़ती है और ना ही परिवहन विभाग की।
वही दूसरी ओर अब तो सब वाहनों के लिए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य है लेकिन नगर निगम के वाहनों को ही बक्शा जा रहा है यहां तक की नगर निगम कई वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगी हुई है ऐसे वाहनों पर चालानी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है जबकि अन्य वाहनों से आरटीओ द्वारा जुर्माने के हजारों रुपए वसूले गए होगें तो वही दूसरी ओर सालों पुराने इन वाहनों में खराबी आने पर इनका सामान भी नहीं मिलता है ऐसी स्थिति में वर्कशॉप में कार्य करने वाले व्याक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर टैंकर को सुधारने के लिए आए एक चालक ने बताया कि अगर एक ही दिन में काम करवाना हो तो यहां के जिम्मेदारों को शुभ लाभ समझना पड़ता है। नहीं तो वह काम का लोड बात कर वाहन को दो-चार दिन बगैर काम के ही खड़ा रखते हैं ऐसे में अगर वहां छोडक़र चले जाते हैं तो एक वाहन का सामान निकाल कर दूसरे वाहन में लगा दिया जाता है इतना ही नहीं बैटरी और टायर तक बदल दिए जाते हैं। अगर ऐसी स्थिति में कोई दुर्घटना होती है तो कौन होगा जिम्मेदार। अब तो शहर भ्ज्ञक्र में पानी की किल्लत होने पर शहर के 45 वार्डो की गलियों में दौडने वाले इन टैंकरो से कोई दुघर्टना होती है तो ऐसी स्थिति में नगर निगम के वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट शायद एक्सपायर ही हो चुके होंगे ऐसे में क्लेम मिलना भी नामुमकिन जिसके चलते निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा वैसे भी इन पुरानी गाडिय़ों के चालक भी नहीं मिलते हैं अनाड़ी ड्राइवर ही यह वाहन चला रहे हैं जिनके पास शायद हैवी लाइसेंस भी नहीं होगा।

