इंदौर के मालवा वरिष्ठ नागरिक मंच के सदस्यों ने देवास में झेन गार्डन का किया अवलोकन

देवास। झेन गार्डन एक जापानी पद्धति के गार्डन का प्रकार है। जिसे ध्यान करने के लिए बनाया जाता है। झेन गार्डन की जापान में हियानकाल (794 से 1185) से शुरूआत हुई। इन गार्डन का निर्माण और विकास ध्यान करने के साधन के रूप में हुआ। इसकेे निर्माण में अनुशासन पर विशेष जोर दिया गया। जिसके लिये पौधों को कांटछांट कर बोल्डर औैर रेत आति को एक नियमानुसार उपयोग करने का प्रावधान किया गया। बोल्डर (चट्टाने) उनके आकार और स्थान के आधार पर पहाड़ों, द्वीपों, प्राणियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। रेत को जब आकार दिया जाता है तो वह पानी की लहरों या उर्जा के प्रवाह का प्रतीक होती है। पेड़ पौधों को कांट छांट कर इस तरह से आकार दिया जाता है कि वे पेड़ों की अधिक उम्र ओर स्थाईत्व का आभास दें। जो धीरज और बीते हुए समय का प्रतीक है। पौधों की क्लाउड कटिंग, मशरूम कटिंग, बल्ब कटिंग, डोम कटिंग, ट्री बोन्साई और भी कई तरह से कटिंग, ट्रिमिंग की जाती है। काई और दूब ग्रास का उपयोग ग्राउंड कवर के लिए किया जाता है। यह शांति और सुकुन का प्रतिनिधित्व करता है। गार्डन में खाली स्थान शूून्यता या खालीपन का प्रतीक है जो झेन बोद्ध धर्म में एक प्रमुख अवधारणा है। इन सभी विशेषताओं को ध्यान में रखकर झेेन गार्डन बनाया गया है। इसी गार्डन के एक भाग को करसनसुई ड्राय गार्डन के रूप में बनाया गया है। जिसमें रेत, बोल्डर का अधिक व पेड़ पौधों का कम उपयोग किया गया है। यहां ध्यान करने के लिए दो हट बनी हुई है जिनके सामने ध्यानस्थ मुद्र्रा में भगवान बुद्ध बौधि वृक्ष के नीचे बैठे हुए हैं ऐसा बनाया गया है।


इस झेन गार्डन को देवास के गार्डन असोसिएशन द्वारा इंदौर के मालवा वरिष्ठ नागरिक मंच के सदस्यों को दिखाने और इसकी विस्तार से जानकारी देने की व्यवस्था की थी। वरिष्ठ नागरिक मंच में पूर्व राज्यपाल, भारतीय सेना एवं वायु सेना के उच्चतम अधिकारी, इंदौर के वरिष्ठ डॉक्टर, बैंकर, इंजीनियर, उद्योगपति, प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीकारी आदि सम्मानित सदस्य हैं। सभी सदस्यों ने झेन गार्डन और करसनसुई गार्डन को देखा और वहीं आसपास किए हुए वाटर हार्वेस्टिंग के काम को भी बड़ी उत्कंठा से देखा समझा। गार्डन असोसिएशन भी इतने वरिष्ठ लोगों को एक साथ गार्डन विजिट करवाकर अभिभूत हुआ।
