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नेचर करेक्ट तो फ्यूचर करेक्ट-आचार्य कुलबोधिजीदो दिवसीय प्रवचन श्रृंखला में जुटेे सैकड़ों श्रद्धालु 29 नवम्बर शुक्रवार को होगा समापन

देवास। आप अपना नेचर करेक्ट कर लो तो आपका फ्यूचर खुद ब खुद करेक्ट हो जाएगा। आपका नेचर याने स्वभाव सुधर जाएगा तोे आपका फ्यूचर भविष्य सुधरने में समय नहीं लगेगा। इस धरा पर ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां पर हमनेे जन्म और मृत्यु प्राप्त न किया हो। असंख्य गति एवं भवो के चक्कर लगाकर हम मानव रूप में यहां आए हैं। हमने जन्म लिया यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है कि यहां आकर हमने आत्म उत्थान के लिए क्या प्रयास किया। खाना, सोना, वंश बढ़ाना यह तो पशुओं में भी संभव है, लेकिन मानव भव की प्राप्ति के पश्चात इन सबसे उठकर हमें हमारी आत्म कल्याण का मार्ग चुनना होगा। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे सुख की प्राप्ति हो और दुख की समाप्ति हो। जिस जरिये से दुख आता है हम उसे ही बंद कर दें तो जीवन में सुख ही सुख परिलक्षित होगा। विशाल धर्मसभा को उपदेशित करते हुए आचार्य श्री कुलबोधि सुरीश्वरजी म.सा. ने यह बात देवास नगर में प्रथम आगमन पर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर परिसर में कही। आपने आगे कहा कि जीवन में इन तीन कारणों से दुख आता है। प्रथम अभाव, द्वितीय प्रभाव, तृतीय स्वभाव। हमारे पास जो है उसका आनंद नहीं लेकिन जो नहीं है उसकी पीड़ा अधिक होे यह अभाव का दुख है। जबकि हमें मालूम है कि बालक का जन्म तो बाद में होता है, लेकिन प्रभु और प्रकृति मां के आंचल में दूध पहले ही भर देती है। ठीक इसी प्रकार हमें भी प्रभु पर पूर्ण विश्वास करते हुुए चिंता मुक्त जीवन जीना है। जो प्राप्त है वहीं पर्याप्त है की नीति हमें सदैव सुख प्रदान करती है। दूसरों का सुख देखकर यदि हमें सुख का अनुभव न हो यह प्रभाव का दुख है। दूसरों के दुख में दुखी होना आसान है लेकिन दूसरों का सुख देखकर सुुखी होना अत्यंत दुष्कर है। जो दूसरों के सुख से सुखी होता है उसके अंतराय कर्म का निवारण होता है और जीवन में तरक्की प्राप्त होती है। इसके उलट दूसरे के सुख में दुखी होने वाले नीच गौत्र कर्म का बंधन करता है और कभी तरक्की प्राप्त नहीं कर सकता। आपके कहीं जाने से व्यक्ति खुश हो यही आपके सही स्वभाव का प्रतीक है। जबकि आपकी उपस्थिति में कोई दुख का अनुभव करे तो अपने स्वभाव में परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है। आपके स्वभाव से सामने वाले को हास का अनुभव होना चाहिये त्रास का नहीं। अभाव का दुख पुण्य से दूर होता है, प्रभाव का दुख प्रेम से और स्वभाव का दुख प्रसन्नता से दूर हो सकता है।
आगामी आयोजन
प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि 29 नवम्बर शुक्रवार को सुबह 9.15 बजे पूज्यश्री का श्रृंखला समापन प्रवचन होगा। इसके पूर्व 8.30 से 9 बजे तक सकलश्री संघ की नवकारशी होगी। नवकारशी का आयोजन राजेन्द्र कुमार मांगीलाल जैन गौतमपुरा एवं संजय कुुमार नेमीचंद जैन पद्मावती परिवार द्वारा किया जाएगा। प्रवचन पश्चात संघ पूजन का आयोजन होगा।

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