
बेटे के पढ़ाई के लिए भटक रही मां, 3 साल निशुल्क शिक्षा दी अब पोर्टल से नाम हटाया

देवास। हर मां बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़ लिखकर आफसर बने हैं, इसके लिए वे उससे अच्छी शिक्षा व संस्कार देते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने से कई बच्चों बेहतर शिक्षा से वंचित हो जाते हैं, लेकिन शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी आरटीई के तहत बच्चों को मदद मिल रही है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से एक मां शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बच्चे एडिमिश होने के बाद भी बच्चे की शिक्षा के लिए भटक रही हैं।
दरअसस, देवास में मंगलवार को जनसुनवाई में रीना पति सुरेश निवासी बावरिया ने कलेक्टर के सामने गुहार लगाई थी मेरे बच्चे का आरटीई के तहत स्कूल में एडमिशन हुआ था जिसके चलते कक्षा पहली दूसरी तक उसको निरंतर पढ़ा, लेकिन कोविड के 3 साल में स्कूल बंद हो गया था इसके बाद स्कूल गया तो उसका नाम पोर्टल से हट गया जिससे मेरे बच्चे का भविष्य प्रभावित हो रहा है। इसके लेकर मां रीना मंगलवार को कलेक्टर से मदद मांगी। महिला से इससे पहले भी कई बार जनसुनवाई में मदद के लिए आ चुकी हैं, लेकिन कुछ हुआ। मां ने बताया कि उनके बेटे का नाम पोर्टल से हटा दिया गया है। उसे वापस जोड़ा जाए, जिससे उसका बेटा फिर से शिक्षा प्राप्त कर सके।
कलेक्टर के सामने गुहार लगाई
मां ने बताया कि वह बावड़िया निवासी है। बेटे हार्षित हाडा को अनामा स्कूल में आरटीई के तहत प्रवेश मिला था, लेकिन कोविड के बाद अब स्कूल वाले एडमिश नहीं दे रहे हैं. कहते हैं दूसरे स्कूल में जाओ। दूसरे स्कूल में जाते हैं तो वहां भी प्रवेश नहीं जा रहा है। कई बार जिम्मेदारों को शिकायत कर चुके हैं, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है। ऐसे में मेरे बच्चे के भविष्य खराब हो रहा है। कलेक्टर को ध्यान देकर मेरे बच्चे के एडमिशन करवाना चाहिए।
आरटीई क्या होता है
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है |
इसके अंतर्गत 6 से 14 साल के सभी बच्चों को उनके नजदीक के सरकारी स्कूल में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है। उसी तरह प्राइवेट स्कूलों में भी कुछ सीट्स RTE Act के अंतर्गत फिक्स की गयीं हैं। इस अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत बच्चों को इस केटेगरी में एडमिशन दिया जाता है। ऐसे बच्चों के स्कूल की फीस माफ़ होती है और बच्चों को यूनिफार्म और पुस्तकों भी मुफ्त दिया जाता है । इसमें अधिनियम में सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शामिल किया गया है।
