आपका शहरदेवासमध्यप्रदेश

बसन्त पंचमी पर सरस्वती जी की वंदना के साथ काव्य गोष्ठी का हुवा आयोजन

देवास। बसंत ऋतु के आगमन पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन कवि दिलीप जी मांगलिक के निवास मोतीबंगला में हुआ। अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ कवि विनोद मंडलोई और मुख्य अतिथि के रूप में ओज कवि देवकृष्ण व्यास उपस्थित थे। काव्य गोष्ठी का प्रारंभ वरिष्ठ कवि गहलोत जी ने सरस्वती वंदना से किया। विनोद मंडलोई जी ने कहा – तू नजरे करम जब से करने लगा है, जमाने का हर ज़ख्म भरने लगा है । शायर मोइन खान मोइन ने कहा – कौन है वो जिसके दिल में अम्न का मकतब नही, हाँ सभी में हैं बुरे कुछ लोग लेकिन सब नहीं। इश्क़ होना चाहिए इंसान को इंसान से जो हमें नफरत सिखाए वो कोई मज़हब नही। कवि व शायर देव निरंजन ने कहा- ज़ख्म कितने ही पाल रक्खे हैं ,फिर भी रिश्ते सम्हाल रक्खे हैं । ऐ निरंजन हजार ग़म हमने,मुस्कुराहट में ढाल रक्खे हैं ।। कवि गहलोत जी ने कहा- कल चलूंगा साथ तुम्हारे आज मुझे जी लेने दो, कवियों के संग काव्य सुधा आज मुझे पी लेने दो। कवि देवकृष्ण व्यास ने कहा – सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग, अजर अमर है पुरातन है, जिसको कोई मिटा न पाया ऐसा सत्य सनातन है। दिलीप मांडलिक जी ने अतुकांत रचना प्रस्तुत करते हुए कहा – पतझड़ बसन्त के गीत रचता, सूखते खरखराते पत्तों पर, कंप कँपाते हाथों से हवा उन्हें उड़ा ले जाती ।  कवि विजय जोशी जी ने कहा – भीष्म मौन नहीं मुखर होते, तो रण में यूं रक्त रंजित शव न पड़े होते ।। संचालन शायर मोइन ने ओर आभार दिलीप मांडलिक ने माना।

Related Articles

Back to top button

कृपया खुद मेहनत करे...