
देवास। शहर की सडक़ों पर मौत बेखौफ दौड़ रही है और ट्रैफिक व्यवस्था सिर्फ कागजों में सजी हुई है। गुरुवार सुबह शहर के प्रतिष्ठित सेंटमेरी कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर मेरीबा राजकुमारी की एक भीषण सडक़ दुर्घटना में मौत हो गई। यह हादसा न केवल एक परिवार से उसकी जिम्मेदार मां और पत्नी को छीन गया, बल्कि शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था की हकीकत को भी सामने लाकर खड़ा कर गया।
रोज़ की तरह निकली थीं ड्यूटी पर…
बैक नोट प्रेस निवासी मेरीबा राजकुमारी पत्नी जेबराज एस रोज़ की तरह सुबह करीब 7.30 बजे स्कूटी से स्कूल जा रही थीं। उज्जैन रोड स्थित अभिनव टॉकीज के आगे जैसे ही उनकी टू-व्हीलर पहुँची, एक तेज़ रफ्तार बस ने अचानक ब्रेक लगाए। इससे मेरीबा का संतुलन बिगड़ गया और वे सडक़ पर गिर पड़ीं। गिरते ही सिर में गंभीर चोट लगी, और घटनास्थल पर ही उनकी स्थिति चिंताजनक हो गई। राहगीरों ने तुरंत घटना की सूचना स्कूल प्रबंधन को दी। स्कूल स्टाफ ने तत्काल उन्हें जिला अस्पताल पहुँचाया, जहाँ से उन्हें इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल रेफर किया गया। लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
शिक्षिका नहीं रहीं, लेकिन पीछे छोड़ गईं कई सवाल…
मेरीबा राजकुमारी मूलत: तमिलनाडु की रहने वाली थीं। उनका परिवार चेन्नई में रहता है। दो छोटे-छोटे बच्चों की मां मेरीबा अपने पूरे परिवार से दूर, देवास में नौकरी कर रही थीं। पति जेबराज एस बैंक नोट प्रेस देवास में कार्यरत हैं। वे दो साल पहले ही सेंटमेरी कॉन्वेंट स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर के रूप में सेवाएँ दे रही थीं। उनके समर्पण और व्यवहार ने न केवल विद्यार्थियों, बल्कि स्टाफ और अभिभावकों के बीच भी उन्हें विशेष स्थान दिलाया था। उनके आकस्मिक निधन की खबर फैलते ही स्कूल स्टाफ, बीएनपी के कर्मचारी, शिक्षक संगठनों और समाजजन बड़ी संख्या में पहुंचे। बल्कि दूर-दराज बसे उनके परिजनों के लिए भी यह खबर बिजली की तरह गिरी। शव का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल देवास में किया गया, जिसके बाद पार्थिव शरीर को एयरलाइंस के माध्यम से उनके गृह नगर चेन्नई भेजा जा रहा है। परिजनों ने वहीं अंतिम संस्कार की का निर्णय लिाय गया है।
ट्रैफिक अव्यवस्था पर फिर उठा सवाल
जहाँ एक ओर परिवार अपने दर्द से जूझ रहा है, वहीं अब लोगों में आक्रोश है। उज्जैन रोड की ट्रैफिक व्यवस्था पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकला। यह वही सडक़ है, जहाँ हर दिन हजारों वाहन तेज़ रफ्तार से दौड़ते हैं, लेकिन न कहीं सडक़ संकेतक हैं, न कोई स्पीड ब्रेकर, और न ही ट्रैफिक पुलिस की तैनाती। लोगों का कहना है कि सुबह के समय जब छात्र-छात्राएं स्कूल जा रहे होते हैं, तब यह सडक़ और भी खतरनाक हो जाती है। प्राइवेट बसों का संचालन अनियंत्रित है। कई बार तो बसें बीच सडक़ पर रुक जाती हैं, सवारियों के लिए अचानक ब्रेक मारती हैं और इसी लापरवाही ने एक शिक्षिका की जान ले ली।


