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बिजली के तारों में बह रहा भ्रष्टाचार देवास में बना जूनियर इंजीनियर करोड़पति, बेटे के नाम पर ट्रांसफॉर्मर लगवाए, पत्नी को ठेकेदार बनाकर सरकार को लूटा….!

अमित बागलीकर
देवास।
देवास विद्युत वितरण कंपनी में पदस्थ जूनियर इंजीनियर (जेई) ने सरकारी नौकरी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी समझ लिया है। जो जानकारी सामने आई है, वह किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं ट्रांसफॉर्मर से लेकर केवल तक, कॉलोनियों से लेकर कंपनियों तक हर जगह विद्वाुत वितरण कंपनी के जेई साहब ने अपनों को लाभ और सरकारी संसाधनों को नुकसान का ऐसा नेटवर्क खड़ा कर दिया कि पूरा विभाग चुप्पी साधे बैठा है।
बेटे के नाम पर ट्रांसफॉर्मर, कॉलोनियों में बिछाया भ्रष्टाचार का जाल
सूत्रों के मुताबिक जेई साहब ने देवास की एक नहीं, दो नहीं बीस से ज्यादा कॉलोनियों में घटिया स्तर के ट्रांसफॉर्मर लगवाए, वो भी अपने ही बेटे के नाम पर बने फर्जी फर्मों के जरिए। नियमों को धत्ता बताते हुए इन ट्रांसफॉर्मरों में घटिया असेंबली फिट की गई 200 केवीए के नाम पर 160 केवीए की यूनिटें! ये न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि शहर की बिजली आपूर्ति पर सीधा खतरा भी बन चुका है।
स्थानीय होना बना वरदान, विजयगंज मंडी से देवास तक फैलाया भ्रष्टाचार का जाल
जेई का नाम पहले भी विजयगंज मंडी में चर्चाओं में रहा है, जहां उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें दर्ज थीं। देवास में पदस्थ होते ही उन्होंने स्थानीय होने का फायदा उठाते हुए एक के बाद एक फर्जीवाड़े अंजाम दिए। नियमों को जेब में रखकर पूरे विभाग को निजी कंपनी की तरह चला डाला।
बीवी-बेटे बने बिजनेस पार्टनर, विभाग की मलाई सीधी घर में
सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी न तो स्वयं और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को विभागीय कार्यों में शामिल कर सकता है। लेकिन यहां तो मामला ही उलटा है जेई साहब ने पत्नी के नाम पर स्काईलाइन लॉजिस्टिक्स और बेटे के नाम पर नॉर्मल इंडस्ट्रीज खड़ी कर ली। न कोई तकनीकी योग्यता, न लाइसेंस बस विभाग की मिलीभगत से लाखों के ठेके झटक लिए गए। और तो और, शिप्रा क्षेत्र में बिना ए क्लास लाइसेंस बनावकर घटिया ट्रांसफॉर्मर असेंबली बनाई गई और सरकारी ठेकों में लगा दी गई।
बगैर परीक्षा मिला बेटा को क्लास-1 ठेका, रिलायंस से भी कराया कांट्रेक्ट!
भ्रष्टाचार की हद देखिए बेटे को बगैर परीक्षा क्लास-1 ठेकेदार बना डाला। फिर उसी लाइसेंस के दम पर रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी नामी कंपनियों से ठेके भी दिलवा दिए गए। सवाल है कि क्या अब विभाग में योग्यता की जगह सिर्फ रिश्तेदारी चलेगी….?
विजिलेंस जांच में खुलासा, करोड़ों की संपत्ति, पर प्रशासन खामोश!
विजिलेंस जांच में यह बात साफ हो गई है कि जेई के पास करोड़ों की संपत्ति है आलीशान बंगले, कारें, कैश और लगातार चल रही ठेकेदारी से मोटी कमाई। बावजूद इसके प्रशासन चुप है। न निलंबन, न नोटिस अब तो लगता है जैसे सत्ता का संरक्षण इस भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी ढाल बन गया है।
अन्य ठेकेदारों पर दबाव हमारा माल लो वरना काम बंद
खुलासा ये भी हुआ है कि जेई साहब अपने रसूख का उपयोग कर अन्य ठेकेदारों पर दबाव डालते हैं कि हमारा माल लो, वरना काम ठप! ये बात न सिर्फ विभागीय अनुशासन के खिलाफ है, बल्कि सीधे-सीधे ठेकेदारी में मोनोपोली बनाकर भ्रष्टाचार को संस्थागत करने की साजिश है।
पत्नी की फर्म स्काइलाइन लॉजिस्टिक्स और बेटे की शिवमनोमेय इंडस्ट्रीज
जेई की पत्नी के नाम पर संचालित स्काइलाइन लॉजिस्टिक्स सीधे विद्युत विभाग के ठेके उठाती है। दूसरी ओर बेटे और पत्नी की पार्टनरशिप में बनी शिवमनोमेय इंडस्ट्रीज, बिना किसी तकनीकी लाइसेंस या विभागीय अनुमति के, ट्रांसफार्मर निर्माण और मरम्मत का कार्य कर रही है। यह कार्य न सिर्फ पूरी तरह असंवैधानिक है, बल्कि सरकारी पद का नग्न दुरुपयोग भी है।
शहर की ये कॉलोनियाँ बनी भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला
आराध्या-1ए आराध्या-2ए डीएमजी(क्षिप्रा), मीठा तालाब क्षेत्र सहित बायपास के आसपास की कॉलोनियाँ (4-5) कॉलोनियों में विद्युत विभाग के नाम पर घटिया स्तर का कार्य किया गया, जिसमें केबल, ट्रांसफार्मर, लोहे के पोल सब कुछ नियमों और एस्टीमेट के विपरीत लगाए गए। विजिलेंस जांच में इस बात की पुष्टि हो चुकी है। और तो और जांच में हुआ खुलासा घटिया मटेरियल, जानबूझकर की गई कटौती इसके साथ ही 200 केवीए ट्रांसफॉर्मर में 160 केअीए असेंबली लगाई गई। 180 स्के.मी की केबल के स्थान पर 70 स्के.मी की डाली गई। 0.5 साइज के एल्यूमिनियम कंडक्टर की जगह 0.3 साइज का घटिया माल लगाया गया। और तो और यह सब सरकारी नक्शे व अनुमतियों के विपरीत किया गया साफ तौर पर यह लूट की तकनीक है, विकास की नहीं।
सरकारी स्टाफ से करवाता है निजी काम, वेतन सरकारी खाता देता है
जानकारी के मुताबिक, जेई अपने सरकारी स्टाफ से अपने निजी और घरेलू कार्य करवा रहा है। यही नहीं, ठेके भी इन कर्मचारियों के नाम पर लेकर उनके खातों में भुगतान करवाकर टैक्स चोरी भी करता है। अब तो यह सिर्फ एक जेई की कहानी नहीं, यह उस पूरे सिस्टम पर सवाल है जो भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देता है और सच्चाई को कुचलता है। देवास की जनता अब जवाब चाहती है – क्या एक व्यवस्था से बड़ा हो गया है।

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