भारतीय संविधान भारतीय संस्कृति का परिचायक

देवास। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस श्री कृ.प.शा.स्नातकोत्तर महा. वि. देवास में 26 नवम्बर को भारतीय संविधान की 75 वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि अभिजीत सिंह राठौर लोक अभियोजन अधिकारी, जिला न्यायालय इंदौर, मनीष पारिक जनभागीदारी अध्यक्ष श्री कृ.प.शा.स्नातकोत्तर महा. वि. देवास एवं लोकेन्द्र शुक्ला (जनभागीदारी सदस्य) एवं विषय विशेषज्ञ डॉ. सीमा सोनी, प्राध्यापक राजनीति विज्ञान तथा डॉ. एस.पी.एस.राणा प्राचार्य, पी.एम.सी.इ.ओ. श्री कृ.प. शा.स्नातकोत्तर महा. वि. मंचासीन रहे। कार्यक्रम में सर्वप्रथम माँ सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद तथा डॉ भीमराव आंबेडकर के चित्र का वंदन एवं माल्यार्पण किया गया। मोनिका चौहान तथा श्रध्दा चौहान द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। तदुपरान्त अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन से किया गया। कार्यक्रम के प्रथम वक्ता के रूप में मनीष पारिक ने अपने उद्बोधन में संविधान निर्माण की पृष्टभूमि की जानकारी दी साथ ही नागरिको के अधिकार एवं दायित्वों से अवगत कराया। अभिजीत सिंह राठौर ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने देश का संविधान भारतीय संस्कृति को परिलक्षित करता है एवं संविधान निर्माताओ के द्वारा भारतीय आदर्शो से जुड़े एवं उकेरे गए चित्रों से जैसे रामायण, महाभारत, महावीर, गौतमबुद्ध, राजा विक्रमादित्य एवं अशोक, गुरुशिष्य परंपरा, गुरुगोविन्द सिंह , छत्रपति शिवाजी,रानी लक्ष्मीबाई, माता अहिल्याबाई होल्कर आदि की व्याख्या एवं महत्व को विद्यार्थियों के समक्ष रखा इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान में देश के समक्ष उपस्थित अनेक ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की तथा विमर्श के पश्चात् ही अनुकरण की सलाह दी । उन्होंने राष्ट्र निर्माण में सहायक, पंच परिवर्तन कुटुम्ब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण , सामाजिक समरसता तथा स्व के भाव की जागृति की आवश्यकता पर बल दिया तथा इसके लिये संविधान अध्ययन के लिए प्रेरित किया।


डॉ. सीमा सोनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अत्यंत परिश्रम से तैयार किये गए भारतीय संविधान में गरिमा, समानता, स्वतंत्रता तथा न्याय पर बल दिया गया है। सच्चा राष्ट्र प्रेम तभी संभव होगा जब देश का नागरिक संविधान के प्रति सम्मान रखते हुए उसमे वर्णित नियमो तथा कानूनों का सही नीयत से पालन करेगा। डॉ. एस.पी.एस.राणा ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारतीय संविधान में विधि का अर्थ धर्म से जोड़ा गया है तथा धर्म का अर्थ व्यक्ति के आचरण को नियंत्रित करने से है। उन्होंने सभागार में उपस्थित समस्त सभाजनो से संविधान को पढने का आग्रह किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापको तथा विद्यार्थीयो की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीप्ति ढवले ने किया तथा डॉ. भारती कियावत ने आभार माना।
