
देवास। भारतीय स्त्री शक्ति संगठन की स्थापना 15 मई 1988 मुंबई में हुई। इस अवसर पर दाम्पत्य जीवन में दूरी,कारण और निदान विषय पर देवास इकाई का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। एक दूसरे पर विश्वास करें, धैर्य और सामंजस्य बनाए रखें। सबसे अहम बात अपने रिश्तों में अहंकार को बीच में न आने दें,एक दूसरे का सम्मान करें। यह बात सामने आयी, दम्पत्ति वार्तालाप कार्यक्रम में, जिसका आयोजन “ाारतीय स्त्री शक्ति संगठन ने अपने स्थापना दिवस 15 मई को किया। देवास इकाई के इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉक्टर दिव्या दुबे ने भारतीय स्त्री संगठन के महत्व एवं कार्य प्रणाली से सभी को अवगत कराया। लगभग पच्चीस अतिथियों के साथ ,कार्यक्रम में सक्रिय एवं कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में रेणु गुप्ता, पूनम शर्मा, नीता सिरपुरकर, छाया कानूनगो, अर्पणा जैन, शकुंतला दुबे की सराहनीय उपस्तिथि रही। आमंत्रित छह दम्पत्तियों का परिचय रमा यार्दी एवं मंजु जैन ने दिया। दम्पत्तियों से वार्तालाप नीत अरोरा के कुशल संचालन में सम्पन्न हुआ। राजेंद्र सुमन मुँदडा ने रिश्तों को ससम्मान बनाए रखने हेतु । ए-एडजेस्मेंट,बी-बिहेवीयर, सी-कोर्डिंनेशन ,डी-डिसिप्लीन जैसे गोल्डन टिप्स दिए। हिमांशु सुमन कुमावत ने आपसी समझ बनाए रखने व मतभेद मनभेद में न बदलें, इसके लिए अपनी राय व्यक्त की। डॉक्टर दम्पत्ति सूर्यप्रताप ,उर्वशी ने अपने प्रोफेशन के साथ परिवार में तालमेल बैठाए रखने के गुर बताए। किशोर सुचित्रा पारोलकर ने संयुक्त परिवार का महत्व बताया। मितेश सपना रघुवंशी ने दम्पत्तियों को साथ क्वालिटी टाइम बिताने के महत्व के साथ ही आपसी झगड़ों को समय रहते सुलझाने की बात कही। साथ ही उन्होंने बताया कि दोहरा व्यवहार परिवार के विघटन का कारण बनता है। मुकेश नीलम सिंघई ने युवा दम्पत्तियों के बीच उनके माता पिता के अनपेक्षित हस्तक्षेप पर चिंता जतायी। अंत में नीत अरोरा के आभार व्यक्त करने के साथ ही अतिथि दम्पत्तियों को जीवन में हरियाली संग खुशहाली का संदेश देते फूलों के पौधे भेंट किए।

