महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई

देवास। अखिल भारत अनुसूचित जाति परिषद द्वारा महान सामाजिक क्रांति के अग्रदूत सामाजिक व्यवस्था को मूल परिवर्तन करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई गई। महात्मा का जन्म 11 अप्रेल1827 को पुणे महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्काटिश मिशन स्कूल कक्षा 7 वी तक प्राप्त की थी। मराठी भाषा में उन्होंने 1873 में सत्य शोधक समाज संगठन की स्थापना की। मानवता ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है धार्मिक कर्मकांड अनुष्ठान भोली भाली जनता को लूटने का काम करते हैं। मनुष्य में समानता स्वतंत्रता होना आवश्यक है तभी उसका विकास होता है। उन्होंने सर्वप्रथम शिक्षा के लिए स्कूल खोला जिसमें शोषित पीडि़त अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चों को प्रवेश दिया गया जो उसे समय शिक्षा से वंचित रखे जाते थे और अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई। जिन्होंने बहुत संघर्ष किया परंपरा की बेडियों ने उन्हें स्कूल जाने से रोका तथा उनपर कीचड़ उछाला गया। परंतु महात्मा ज्योतिबा फुले ने उसकी कोई परवाह नहीं करते हुए पाखंड वादियों को करारा जवाब दिया और परिवार से बहिष्कार होने पर अलग रहने लगे। उनका मानना था कि सामाजिक समानता और स्वतंत्रता के बिना समाज का विकास नहीं हो सकता। बाल काटना, कपड़े सीना, जूते बनाना यह मनुष्य का धर्म नहीं उसका धंधा है जाति व्यवस्था शोषण करने के लिए बनाई गई है शिक्षा के योगदान के लिए उन्हें मेजर के डी ने सम्मानित किया गया था। उन्हीं की प्रेरणा लेकर बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान में सामाजिक परिवर्तन आवश्यक स्वतंत्रता समानता के अधिकारों की व्यवस्था की गई है। उनके विचार बहुजन समाज को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे । उक्त विचार उपस्थित वक्ताओं ने व्यक्त किये। इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष का आत्माराम परिहार, कार्यकारी अध्यक्ष जयप्रकाश मालवीय, उपाध्यक्ष संजय रैकवार, वरिष्ठ समाज सेवी मूलचंद पांचाल, जयराज सिंह मालवीय, रुगनाथ सिंह मालवीय, कान्तिलाल सोलंकी, राघवेंद्र परिहार, आयुष मालवीय, बाबूलाल गवलिया, मोहित गवलिया, आरोहित, खुशी मालवीय आदि उपस्थित थे।

