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महापौर साहिबा..पहल तो अच्छी है पर..राशिफल पढऩे का टाइम अलग से दे देना..

देवास- राजनीति और एक्सपेरिमेंट का बहुत गहरा नाता है यही कारण है कि अकसर राजनेता अपनी जिम्मेदारी को नए नए एक्सपेरिमेंट से पूरा करने का दिखावा करते हैं कुछ आता क्या जनता के लिए काफी लाभदायक भी होता है लेकिन बरसों से भ्रष्टाचार की जंग खा चुके सरकारी मुलाजिम जब कभी भी प्रेशर पर पाव रखने पर दौडऩे का प्रयास करते हैं तो अतीत में काम चोरी की उनकी आदत नित नए बखेडे खड़े कर देती है। ऐसा ही एक नजारा बुधवार से नगर निगम में शुरू हुए जनसुनवाई में देखने को मिला जहां जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए निगम में जनता दरबार का आयोजन किया गया। लेकिन जनसुनवाई में बैठे जिम्मेदार जनता की समस्या सुनने से ज्यादा खुद के राशिफल को पढऩे में मशगूल दिखे। अब ऐसे में आस लगाई जनता अनायास ही बोल पढ़ी…साहब आपके ग्रह सुधर गये हों तो.. हमारा गृह भी सुधार देना…।
पुरा मामला देवास नगर निगम का है। जहां निगम की बागडोर श्रीमती गीता दुर्गेश अग्रवाल संभाल रही है। भाजपा की पृष्ठभूमि से संबंध नही रखने वाली महापौर महोदया ने शहर की जनता के जख्मों में मरहम रखने के लिए एक नई परिपाटी की शुरुवात करते हुए प्रति बुधवार जनसुनवाई का नवाचार शुरू किया। इस प्रयास को लेकर सारे शहर में सराहनाओं की हवा तेजी से उढऩे लगी। जनता को अब यकीन हो गया था कि जनसुनवाई के दौरान उनकी हर समस्या न केवल सुनी जाएगी बल्कि उसे प्राथमिकता से हल भी किया जाएगा। आखिरकार जनता के सपनों का दिन आ ही गया और निगम के आंगन में जनसुनवाई का दौर शुरू हुआ। शुरुवात के कुछ क्षणों में नगर निगम संबंधित अपनी समस्या लेकर पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने महापौर के सामने अपनी अपनी समस्याओं को रखा। जिसे तत्काल ही महापौर एवं उनके पति जो कि भाजपा विधायक प्रतिनिधि है, ने समझते हुए तत्काल ही निवारण करने का आश्वासन देते हुए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया।
लेकिन इस नवाचार में केवल महापौर ही ज्यादा व्यस्त दिखाई दी। वहीं जनसुनवाई के समय अन्य अधिकारी अधिकतर टाइम पास करते ही नजर आए। हद तो तब हो गयी जब जनसुनवाई के दौरान निगम की प्रभारी कार्यपालन यंत्री महिला अधिकारी इंदुप्रभा भारती जनसुनवाई के दौरान अपने मोबाइल पर राशिफल देखती हुई कैमरे में कैद हो गई। महिला अधिकारी के मिजाज की बात की जाए तो उन्हें जनता की समस्या से ज्यादा खुद के राशिफल में रुचि थी। अब तो यही बोला जा सकता है कि मेडम खुद राहु-केतु को मनाने का उपाय खोज रही होगी।
बहरहाल हकीकत तो यह है कि कुछ अधिकारियों के चलते न केवल जनता परेशान होती है बल्कि सत्ता पर बैठी सरकार भी उनकी कामचोरी का तगड़ा खामियाजा भुगतती है। अब ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सिर्फ जनता को लुभाने इस नवाचार को ढोंग रचा गया था या फिर अगले बुधवार महापौर महोदया तगड़ी तैयारी के साथ जनता से रूबरू होंगी।
जनता की माने तो जनसुनवाई की पहल वाकई काबिले तारीफ है। लेकिन उसे अमली जामा पहनाने से पहले उन्हें अपने अधिकारियों की कामचोरी की लत को सुधारना होगा। या फिर बेहतर यह होगा कि जनसुनवाई से एक घंटे पहले सभी को सामूहिक रूप से राशिफल पढ़वा दिया जाए। ताकि जब जनता अपनी गुहार लगाने पहुंचे तो उन्हें अधिकारियों का मुंह न ताकना पड़े।

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