राम को बुद्धि से नहीं भक्ति से समझ सकेंगे- सुलभ शांतु गुरूजी

देवास। ये बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश में कई अज्ञानी ज्ञानी का विरोध करते हैं। राम धर्म है और जो धर्र्म को नहीं समझे वो मूड है। रामचरित मानस में तुलसीदास जी द्वारा लिखी चौपाई पर बहस करने वाले अज्ञानी संवाद और विवाद में अंतर नहीं समझते वे लोग क्या रामचरित्र मानस की चौपाई के गूढ़ रहस्य को समझ पाएंगे। राम को बुद्धि से नहीं भक्ति से समझ सकोगे। यह आध्यात्म के चिंतनशील विचार जवाहर नगर में संस्था भीम बजरंग के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्र समर्पित राम कथा के विश्राम दिवस पर मानस के प्रसंगों के साथ वर्तमान समय में रामचरित मानस पर की जाने वाली छीटाकशी का जवाब देते हुए सुलभ शांतु गुरूजी ने व्यक्त किये। आपने सीता हरण के प्रसंग, मारिच वध, रखदूषण वध एवं अगस्त ऋषि के आश्रम की महिमा का बखान किया। मतंगी ऋषि की निष्ठावान वचनबद्ध शिष्या शबरी के गुरू वचनों के प्रति विश्वास और राम के दर्शन की आस का बहुत सुंंदर एवं मार्मिक वर्णन किया। हनुमान और राम के मिलन की कथा, बाली वध, सुरसा वध सहित सुंदर काण्ड के पाठ का महत्व बताया। राम रावण युद्ध का वर्णन एवं अयोध्या में राम राज्य का चिरण किया। समिति संयोजक गणेश पटेल, गुरप्रित ईशर, हेमतंत बिसोरे, मेहरबानसिंह सोलंकी, पूर्णिमा सिंह, कोमल गुर्जर, मोनिका शर्मा ,दीपक बारोड ने गुरूजी का सम्मान किया। प्रहलाद दाड ने गुरूजी के विषय में बताते हुए कहा कि बाल हनुमान की भक्ति एवं रामचरित मानस का ज्ञान गुरूजी का पैतृक संस्कार है। आपने इंजीनियरिंग करने के बाद राम कथा के माध्यम से जनकल्याण का सकंल्प लिया जो हमारे सनातन धर्म के लिए आवश्यक है। कथा विश्रांति के अवसर पर जब गुरु जी व्यास पीठ से विदाई ली तो कथा यजमान एवं श्रोता भाव विभोर हो गए।


