संगीत सम्राट उस्ताद रज्जब अली खां साहब को दी श्रद्धांजलिभजन गायिका लीलाबाई एवं माया मालवीय ने स्मारक स्थल पर किए श्रद्धा सुमन अर्पित

देवास। प्रसिद्ध संगीताचार्य, सुर-साधना के महान साधक और हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अमूल्य धरोहर संगीत सम्राट उस्ताद रज्जब अली खां साहब की पुण्य स्मृति में शुक्रवार को एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध भजन गायिका एवं आकाशवाणी की सुप्रसिद्ध कलाकार श्रीमती लीलाबाई और माया मालवीय ने उस्ताद के स्मारक स्थल पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सुबह 10 बजे कलाकार द्वय स्मारक स्थल पहुंचे और उन्होंने उस्ताद रज्जब अली खां साहब की समाधि पर फूल अर्पित कर मौन श्रद्धांजलि दी। इस दौरान संगीतप्रेमियों और स्थानीय नागरिकों की उपस्थिति में वातावरण पूरी तरह संगीतमय और भावुक हो उठा।
गूंजा श्रद्धा का स्वर, सुरों के सम्राट को किया याद
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान लीलाबाई और माया मालवीय ने कहा कि उस्ताद रज्जब अली खां साहब की संगीत साधना आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके सुर, लय और भाव की जो विरासत उन्होंने हमें दी है, वह आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत की नींव को मजबूती प्रदान करती है। देवास जैसे छोटे से शहर को उन्होंने अपनी साधना से अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई।
संगीत साधकों ने भी जताया सम्मान
इस अवसर पर स्थानीय संगीतज्ञों और उस्ताद के अनुयायियों ने भी अपने-अपने ढंग से श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। कई कलाकारों ने उन्हें ग्वालियर घराने का गौरव बताते हुए कहा कि उस्ताद साहब की गायकी में जो मिठास और गंभीरता थी, वह आज भी रचनात्मक पथ पर मार्गदर्शन करती है।
देवास की शान थे उस्ताद रज्जब अली खां साहब
उस्ताद रज्जब अली खां साहब न केवल एक महान संगीतकार थे, बल्कि वे गुरु-शिष्य परंपरा के उत्कृष्ट प्रतीक भी थे। उन्होंने कई नामी संगीतकारों को प्रशिक्षण दिया और अपने जीवन का प्रत्येक क्षण संगीत को समर्पित कर दिया। देवास की धरती के लिए यह गर्व का विषय है कि ऐसे सुर सम्राट यहां जन्मे और यहीं से संगीत की सुगंध देशभर में फैली।

