संत शिरोमणि श्री नामदेव महराज की जन्मोत्सव मनाया
देवास। 12 नवम्बर को 3 कंचन कुंज कालोनी देवास में संत शिरोमणि श्री नामदेव महराज की 754 वीं जयंती के अवसर पर नामदेव छीपा समाज देवास द्वारा समारोह आयोजित किया गया। समारोह में संत शिरोमणि श्री नामदेव जी भजन कीर्तन कर पूजन आरती की गयी। समारोह के मुख्य अतिथि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्व विद्यालय अजमेर एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्व विद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति अखिल भारतीय नामदेव छीपा महा सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान संरक्षक डाक्टर मोहनलाल छीपा एवं विशेष अतिथि मध्यप्रदेश युवा संगठन के अध्यक्ष सचिन रायथलिया उज्जैन सम्मिलित हुए। उज्जैन से अजय नामदेव, इंदौर से रंजन पंवार, मोहन नागर अथर्व पंवार एवं मध्यप्रदेश युवा परिषद् के पूर्व सचिव आशीष उजलपगा थे। समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। डॉ मोहनलाल छीपा का स्वागत सतीश नामदेव द्वारा शाल श्री फल द्वारा एवं राम नामी दुपट्टा पहना कर किया गया। अन्य सभी विशेष अतिथियों का स्वागत महेन्द्र कुमार नाईवाल, राजेश वर्मा, अशोक नामदेव (डोंगरवाल) सुनिल वर्मा, अनिल आर्य द्वारा राम नामी दुपट्टा पहना कर किया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ डाक्टर मोहनलाल वर्मा का अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। अतिथियों का शाब्दिक स्वागत समाज की कर्मठ बहन रेखा वर्मा (पूर्व महापोर देवास नगर निगम) द्वारा किया गया। डाक्टर मोहनलाल छीपा ने अपने उद्बोधन में छीपा समाज का इतिहास बताते हुए कहा कि जब परशुराम जी द्वारा राजा सहस्त्रबाहु सहित सभी क्षत्रियों का संहार कर रहे थे तब सहस्त्र बाहू के एक पुत्र शूरसेन व शूरसेन की तीन रानियां गोलीतिमा, विंदावती, राधावती व उनके चार पुत्र कृष्णादित्य, कमलादित्य, रंगादित्य एवं बुधादित्य ने हिंगलाज माता के मंदिर में प्राण रक्षा के लिए शरण ली और माता के आदेश से क्षत्रिय धर्म छोड़ कर वस्त्रों रंगाई छपाई, सिलाई बंधाई तथा उनके व्यापार को करते हुए भक्ति मार्ग अपनाते हुए सनातन वैष्णव धर्म को अपनाया यह छीपा जाति का त्रेतायुग का इतिहास है। सचिन रायथलिया ने समाज के युवाओं-युवतियों को अग्रणी रहकर सामाजिक कार्यक्रमों में जाने पर भी जोर दिया तथा जो लोग अपने बच्चों का विवाह समय पर नही कर रहे उनसे सही समय पर अपने बच्चों के विवाह किये जाने पर जोर दिया। रंजन पंवार ने बताया कि देश में भ्रमण कर सामाजिक समरसता एवं भजन कीर्तन के माध्यम से सनातनी जाग्रति लाने वाले पहले संत , संत शिरोमणि श्री नामदेव जी महराज थे। कार्यक्रम में देवास समाज के सीताराम नामदेव, सुनिल छीपा, अमित वर्मा, मनोज नामदेव, आशा नामदेव, मंजू वर्मा कविता वर्मा, संध्या वर्मा, साधना जनवासिया, अन्नपूर्णा नामदेव, ममता वर्मा, इंदिरा वर्मा, मंगला नामदेव सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे। अंत में महेंद्र कुमार नाईवाल ने आभार माना।