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सीता-राम विवाह कथा सुन भाव-विभोर हुए भक्त, भक्तों ने विवाह के दौरान की फूलों की वर्षा, भजनों पर भी झूमे

देवास। श्री आदर्श रामायण मण्डल महिला समिति एवं श्री हरि बोल सेवा समिति द्वारा मण्डल की पूर्व सदस्य स्वर्गवासी माताओं की स्मृति में नूतन नगर उद्यान में चल रही श्री रामकथा के चतुर्थ दिवस सीता-राम विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया। श्री रामचरित मानस की कथा में राम-सीता विवाह प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथावाचक पंडित देवराज शर्मा ने श्रीराम-सीता के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा। उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी राजा- महाराजा को विवाह के लिए निमंत्रण भेजा। वहां आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्री राम धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे। आयोजक धर्मेन्द्र ठाकुर एवं संजय बोर्डिया ने बताया कि व्यासपीठ की आरती शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी, पार्षद प्रतिनिधि राहुल पवार, महिला मण्डल के प्रमुख आशा देवी, संजुला रघुवंशी दिलीप रघुवंशी, पार्षद प्रतिनिधि प्रवीण वर्मा, अशोक रघुवंशी गुड्डा भाई विरेन्द्र राठौर, सुनील कुशवाह सहित भक्तजनों ने की। आरती पश्चात भण्डारा प्रसादी का वितरण हुआ।  रामकथा का आयोजन 15 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक होगा।  

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