आपका शहरइंदौरउज्जैनदेवासप्रशासनिकभोपालमध्यप्रदेशमहाराष्ट्र

देवास-इंदौर मार्ग पर जाम ने बिगाड़ा जनजीवन का संतुलन — एक बुज़ुर्ग की मौत, बसें ठप, प्रशासन नदारदअर्जुन बड़ौदा पर अधूरा ब्रिज बना मौत का कारण, टोलटेक्स और एनएच की नाकामी से जनता त्रस्त

अमित बागलीेकर
देवास।
देवास से इंदौर की जीवनरेखा कही जाने वाली मुख्य सडक़ इन दिनों अपने ही जाल में उलझी हुई है। अर्जुन बड़ौदा के समीप बन रहा अधूरा ब्रिज अब जनता की जान का दुश्मन बन गया है। पिछले कई दिनों से यहां लग रहे लंबे-लंबे जामों ने न केवल यात्रियों की कमर तोड़ दी है, बल्कि अब जानलेवा भी बनते जा रहे हैं। शुक्रवार को इसी जाम में फंसकर इंदौर बिजलपुर के एक बुज़ुर्ग व्यक्ति ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
कहीं जाना अब जोखिम का सौदा, बुज़ुर्ग की दर्दनाक मौत ने हिला दी संवेदनाएं
इंदौर निवासी कमल पांचाल (62 वर्ष) अपने रिश्तेदार के यहां 13वीं संस्कार में शामिल होने देवास आए थे। लौटते वक्त अर्जुन बड़ौदा के पास बने ब्रिज के चलते भारी जाम में फंस गए। जिसके चलते उनकी तबयित बिगढने लगी वही बीपी बढ गया और फिर परिजनों ने जैसे-तैसे उन्हें देवास के निजी अस्पताल तक पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों का साफ कहना है कि अगर जाम न होता, तो शायद जान बच सकती थी।
बस स्टैंड पर पसरा सन्नाटा — चार फेरों की जगह अब मुश्किल से एक बस
देवास बस स्टैंड पर सुबह से ही भारी संख्या में यात्री कतारों में खड़े नजऱ आए, लेकिन न बसें थीं, न उम्मीद। पहले जहां इंदौर जाने वाली बसें रोजाना 4 फेरे लगाती थीं, अब मुश्किल से एक बार चल पा रही हैं। कई बसें जाम में अटकने के बाद देवास में ही खड़ी कर दी गई हैं। इससे न सिर्फ आम लोग परेशान हैं, बल्कि निजी बस संचालक भी घाटे में जा रहे हैं। बस ऑपरेटरों का कहना है कि एक बार जब बस जाम में फंस जाती है, तो उसे बाहर निकालने में तीन से चार घंटे लग जाते हैं। ऊपर से डीज़ल की बर्बादी, यात्रियों की नाराजग़ी और टोल टैक्स की वसूली — ये सब मिलकर बस संचालन को घाटे का सौदा बना रहे हैं। कई संचालकों ने सेवा अस्थायी रूप से बंद करने की चेतावनी भी दी है।
अधूरे ब्रिज से पूरी व्यवस्था अधर में — 1 साल से सिर्फ खानापूर्ति
अर्जुन बड़ौदा का ब्रिज निर्माण एक साल से अधूरा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और निर्माण एजेंसी टोलटैक्स द्वारा की जा रही यह निर्माण प्रक्रिया अब लोगों की रोज़मर्रा की जि़ंदगी पर भारी पड़ रही है। ना काम की रफ्तार है, ना वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था और ना ही यातायात नियंत्रण का कोई इंतज़ाम। जनता अब पूछ रही है — ये निर्माण है या विनाश…? लोगों का कहना है कि निर्माण एजेंसी और प्रशासन सिर्फ औपचारिकताएं निभा रहे हैं। मौके पर ना कोई अधिकारी है, ना कोई ट्रैफिक कंट्रोल, ना ही किसी तरह की सूचना। बारिश के दिनों में हालात और भी भयावह हो जाते हैं, जब कीचड़ और फिसलन से जाम के साथ दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है।
वीआईपी भी नहीं बच पाए जाम से
अब हालात इतने खराब हैं कि आम जनता तो क्या, बड़े-बड़े नेताओं, अधिकारियों और वीआयपी की गाडिय़ां भी जाम में फंसने लगी हैं। शुक्रवार को दो अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं की गाडिय़ां भी जाम में रेंगती नजऱ आईं। इस पर लोगों ने तंज कसते हुए कहा कम से कम अब तो प्रशासन जागेगा!
प्रशासन मौन, जनता त्रस्त — ना कोई समय सीमा, ना कोई वैकल्पिक प्लान
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतने गंभीर हालात के बावजूद ना तो प्रशासन की तरफ़ से कोई दिशा-निर्देश आया है, ना ही निर्माण एजेंसी ञ्जशह्लद्यह्लद्ग& की ओर से कोई सूचना जारी हुई है। लोगों को ना तो ब्रिज के पूर्ण होने की समयसीमा बताई गई है और ना ही अस्थायी वैकल्पिक मार्ग सुझाया गया है। आक्रोशित जनता का कहना है कि यदि जल्दी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी। व्यापारियों, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन को एक स्वर में चेतावनी दी है कि अब धैर्य टूट रहा है।

Related Articles

Back to top button

कृपया खुद मेहनत करे...