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10 महीने से आदेश, लेकिन जेब खाली! जनसुनवाई में फूटा शिक्षक का दर्द, सीईओ ज्योति शर्मा का फूटा गुस्सा अपने ही स्टेनो को लगाई फटकार….

देवास। शिक्षक का हक़ 10 महीने से लटका पड़ा है, लेकिन जिम्मेदार अफसरों को फर्क ही नहीं! मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान जब शिक्षा विभाग के एक शिक्षक ने 10 महीने से लंबित क्रमोन्नति वेतन का मामला रखा, तो जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा का पारा चढ़ गया। फाइल लेकर पहुंचे स्टेनो को मौके पर ही फटकार पड़ी और सीईओ ने तड़ाक से कहा सेवा दे रहे कर्मचारी को अगर अपने ही पैसे के लिए ऐसे चप्पल घिसनी पड़े, तो ये सिस्टम किसके लिए है? शर्म आनी चाहिए!”इसके साथ ही प्रिसिपल से बातचीत की तो उनके द्वारा बताया गया कि 2022 में बढा घोटाला हुआ था जिसके बाद अकाउटेंट को निलबिंत कर दिया गया था। ओर विभाग की लापरवाही साफ़ तौर पर देखाी गई इसी को लेकर जिला पंचायत सीईओ ज्योति शर्मा द्वारा नारजगी जाहीर करते हुए स्टोनों को लतडा गया।
आदेश को 10 महीने बीत गए, बाकी सबको पैसा मिल गया, इसे क्यों नहीं….?
पूरा मामला शासकीय माध्यमिक विद्यालय बरखेड़ा, संकुल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाड़ल्या, विकासखंड टोंकखुर्द का है, जहां पदस्थ शिक्षक को दिनांक 04 सितंबर 2024 को क्रमोन्नति आदेश (क्रमांक 532/2024) मिला था। आदेश में उसका नाम क्रमांक 7 पर दर्ज है। लेकिन लचर अफसरशाही की ऐसी गफलत है कि आज तक शिक्षक को न तो क्रमोन्नति वेतन मिला, न ही एरियर की राशि, जबकि उसी आदेश में बाकी शिक्षकों को महीनों पहले भुगतान हो चुका है।
तीन-तीन आवेदन, फिर भी फाइलें वहीं की वहीं
शिक्षक ने अपनी गुहार पहले 19 अप्रैल 2025 को संकुल प्राचार्य को लगाई, फिर 14 सितंबर 2025 को बीईओ को पत्र दिया, और इसके बाद भी 13 मई 2025 को जनसुनवाई में शिकायत रखी। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात! फाइलें इधर-उधर टहलती रहीं और कर्मचारी की जेब खाली की खाली।
जनसुनवाई में फूटा सीईओ का गुस्सा, बोले “अब होगी कार्रवाई
जनसुनवाई में जैसे ही यह मामला सामने आया, सीईओ ज्योति शर्मा ने अपनी नाराजगी छुपाई नहीं। उन्होंने स्टेनो को झाड़ पिलाते हुए दो टूक कह दिया जो कर्मचारी ईमानदारी से काम कर रहा है, उसे उसका पैसा देने में इतनी देर क्यों? क्या यही है जिम्मेदार तंत्र अब और नहीं!”
सीईओ ने मौके पर ही आदेश जारी किए कि शिक्षक को उसका लंबित वेतन और एरियर तत्काल दिया जाए और इस पूरे मामले की सख्त जांच कराई जाए। साथ ही जिन अफसरों की लापरवाही उजागर होगी, उन पर कार्रवाई तय है।
अब बड़ा सवाल कब जागेगा सिस्टम…?
क्या अब भी सिस्टम की आंख खुलेगी? या फिर इस शिक्षक की तरह और भी कई कर्मचारी फाइलों के ढेर में दम तोड़ते रहेंगे? जनसुनवाई में उठी ये आवाज अब पूरे अफसरशाही ढांचे को झकझोर रही है। देखना होगा कि क्या इस बार शिक्षक को उसका हक मिलेगा या फिर यह मामला भी पुरानी फाइलों की तरह ठंडी चाय बनकर सिस्टम की अलमारी में दबा रह जाएगा।

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